अजब गजब

भारत का ये है इकलौता जज जिसे फांसी के फंदे पर लटकाया गया, वजह रोंगटे खड़े करने वाली

लोगों को ये मामला काफी हैरान करता है
बंगले को भूत बंगला कहा जाने लगा था

नई दिल्लीJan 11, 2020 / 11:49 am

Prakash Chand Joshi

This is the only judge of India who was hanged

नई दिल्ली: जब कोई व्यक्ति अपराध करता है, तो पुलिस द्वारा उसे गिरफ्तार किया जाता है और फिर कोर्ट ( Court ) के जज द्वारा उसकी सजाएं तय की जाती हैं। सजा जेल होने से लेकर फांसी ( Hanging ) तक की हो सकती है, लेकिन क्या आपने कभी ये सुना या देखा है कि किसी जज को ही फांसी की सजा मिली हो? शायद नहीं, तो चलिए आपको एक ऐसा ही हैरान करने वाले मामला बताते हैं।

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बात 1976 की है…

दरअसल, 44 साल पहले साल 1976 में एक जज को फांसी पर लटकाया गया। ये बात हर किसी के रोंगटे खड़े कर देती है। इस जज का नाम है उपेंद्र नाथ राजखोवा, जिसे डुबरी या धुबरी के नाम से भी जाना जाता है। इनकी तैनाती असम के ढुबरी जिले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर थी। उन्हें जो सरकारी आवास मिला था उसके आसपास अन्य सरकारी अधिकारियों के भी आवास थे। बात है साल 1970 की जब उपेंद्र सेवानिवृत्त होने वाले थे और फरवीर 1970 में वो सेवानिवृत्त भी हो गए थे। लेकिन उन्होंने सरकारी बंगला खाली नहीं किया था। वहीं इन सबके बीच उनकी पत्नी और 3 बेटियां अचानक गायब हो गई थी। जब इस बारे में उपेंद्र से पूछा जाता तो वो बात को टाल देते या फिर कुछ बहाना बना देते थे कि वो कहीं गए हैं।

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सरकारी बंगला किया खाली…

इसके बाद अप्रैल 1970 में उपेंद्र ने सरकारी बंगला खाली किया और कहीं चले गए, लेकिन वो गए कहां है इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं था। वहीं उपेंद्र के साले पुलिस में थे और उन्हें पता चला कि उपेंद्र कई दिनों से सिलीगुड़ी के एक होटल में रुके हुए हैं। यहां पत्नी के भाई अन्य पुलिसकर्मियों के साथ पहुंचे और अपनी बहन और भांजियों के बार में पूछा, लेकिन उपेंद्र ने कई बहाने बनाए और आत्महत्या करने की भी कोशिश की। वहीं बाद में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन बाद में उपेंद्र ने कबूल किया कि उसने अपनी पत्नी और बच्चों की हत्या करके शवों को सरकारी बंगले में जमीन के अंदर गाड़ दिया। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया और 1 साल तक केस चला। निचली अदालत ने उपेंद्र को फांसी की सजा सुनाई। इसके बदा हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और यहां तक कि राष्ट्रपति तक को अपनी दया याचिका दी। लेकिन सबने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।

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इस दिन दे दी गई फांसी….

वहीं 14 फरवरी 1976 को जोरहट जेल में पूर्व जज उपेंद्र नाथ राजखोवा को उनकी पत्नी और तीन बेटियों की हत्या के जुर्म में फांसी दे दी गई। लेकिन इसमें सबसे बड़ी बात है कि राजखोवा ने अपनी ही पत्नी और बेटियों की हत्या क्यों की थी, इसके बारे में उन्होंने कभी किसी को नहीं बताया। ये अभी तक एक राज ही बना हुआ है। जिस बंगले में पत्नी और बेटियों की लाश उपेंद्र ने गाड़ी थी, उसे बाद में भूत बंगला कहा जाना लगा। वहीं दूसरे जज भी बंगले को छोड़कर चले गए थे। बाद में बंगले को तोड़ा गया और वहां नयाकोर्ट भवन बनाया जा रहा है। दूसरी तरफ कहा जाता है कि उपेंद्र दुनिया के इकलौते ऐसे जज हैं, जिन्हें फांसी पर लटकाया गया। आज तक किसी जज को फांसी पर नहीं लटकाया गया है।

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