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अजब गजब

नंदी के कानों में इस वजह से लोग रखते हैं अपनी बात, भक्तों की मनोकामनाओं को सुनकर करते हैं यह काम

नंदी के कानों में इसलिए लोग बोलते हैं।
इस पौराणिक कथा में छिपी है उनकी महिमा

Mar 03, 2019 / 11:07 am

Arijita Sen

नंदी के कानों में क्यों अपनी बात कहते हैं?

नंदी के कानों में इस वजह से लोग रखते हैं अपनी बात, भक्तों की मनोकामनाओं को सुनकर करते हैं यह काम

नई दिल्ली। भगवान शिव की महिमा अपार है। कम से ही ये संतुष्ट हो जाते हैं और अपने भक्तों की सारी मुरादें पूरी कर देते हैं। जब हम किसी मंदिर या कोई भी धार्मिक स्थल पर जाते हैं तो भगवान के सामने अपनी बातों को रखते हैं। हम मन ही मन ईश्वर के सामने हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करते हैं। भोलेनाथ के किसी मंदिर में जाकर भी हम ऐसा ही करते हैं, लेकिन बात जब वहां स्थापित नंदी के मूर्ति की होती है तो हम उनके कान में अपनी बात रखते हैं।

नंदी के कानों में क्यों अपनी बात कहते हैं?

शिवालय में नंदी का होना अनिवार्य है और इसी नंदी के कान में लोग अपनी बातें कहते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर नंदी के कानों में ही लोग क्यों बोलते हैं? आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

बता दें कि इस परंपरा के पीछे एक मान्यता है। पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र किया गया है कि किसी जमाने में श्रीलाद नामक एक मुनि ने ब्रह्मचर्य का पालन करने का सोचा।

अब जाहिर सी बात है कि इससे वंश के आगे बढ़ने की संभावना नहीं थी। सामाप्त होते हुए वंश को देख श्रीलाद के पिता चिंतित हो गए।

नंदी के कानों में क्यों अपनी बात कहते हैं?

उन्होंने श्रीलाद से इस समस्या का जिक्र भी किया, लेकिन श्रीलाद गृहस्थ आश्रम को अपनाना नहीं चाहते थे। पिता की परेशानी को सुलझाने के लिए उन्होंने शिव जी की कड़ी तपस्या की और उनसे जन्म और मृत्यु के बंधन से हीन पुत्र का वरदान मांगा। श्रीलाद मुनि की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मांग पूरी की।

नंदी के कानों में क्यों अपनी बात कहते हैं?

एक दिन श्रीलाद को खेत जोतते वक्त एक बच्चा मिला। उन्होंने इस बालक का नाम नंदी रखा। नंदी जब बड़ा हुआ तो शिव जी ने मित्र और वरुण नाम के दो मुनिओं को श्रीलाद के आश्रम में भेजा। इन दो ऋषियों ने नंदी को देख उनकी भविष्यवाणी करते हुए कहा कि नंदी अल्पायु है।

नंदी मृत्यु को जीतना चाहते थे और महादेव की आराधना करने के लिए वे वन में चले गए। उनकी भक्ति को देख भोलेनाथ प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि आज से नंदी मृत्यु और भय से मुक्त है। इसके बाद शिव जी ने उमा की सम्मति से समस्त गणों, गणेश और वेदों के सामने नंदी का अभिषेक करवाया। इस प्रकार नंदी अब नंदेश्वर हो गए।

नंदी के कानों में क्यों अपनी बात कहते हैं?

भगवान शंकर ने नंदी को वरदान दिया कि जहां उनका निवास होगा नंदी भी वहीं विराजित होंगे।कहा जाता है कि तभी से शिव मंदिर में उनकी स्थापना की जाती है। यह भी कहा जाता है कि नंदी के कान में कुछ कहने पर वे उस बात को शिव जी तक अवश्य ही पहुंचाते हैं। इसी कारण आज भी लोग नंदी के कानों में अपनी बात बताते हैं ताकि भोलेनाथ उनकी पुकार सुन लें।

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