अजब गजब

गाड़ियों के टायर क्यों होते हैं काले? ज्यादा सोचकर दिमाग का ना करें दही पढ़ें पूरी खबर

अपने जीवन में टायर देखे ही होंगे फिर वो चाहें साइकिल के ही क्यों न हों। प्राकृतिक रबड़ का रंग तो स्लेटी होता है तो फिर टायर काला कैसे? कभी आपके मन ऐसा सवाल उठता है।

Dec 17, 2018 / 04:00 pm

Priya Singh

गाड़ियों के टायर क्यों होते हैं काले? ज्यादा सोचकर दिमाग का ना करें दही पढ़ें पूरी खबर

नई दिल्ली। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इंसानों की ज़िंदगी आसान होती। आप इस बात से भी आप वाकिफ होंगे कि हम इंसानों ने ही अपने जीवन को आसान बनाया है। तकनीक की मदद से हम आज इतनी आसान ज़िंदगी जीते हैं। उदाहरण के तौर पर कार, बाइक, या कोई भी वाहन ले लीजिए। अगर हमारे जीवन में यह सब न हों तो एक जगह से दूसरी जगह जाने में कितनी मुश्किल होगी। अपने जीवन में टायर देखे ही होंगे फिर वो चाहें साइकिल के ही क्यों न हों। प्राकृतिक रबड़ का रंग तो स्लेटी होता है तो फिर टायर काला कैसे? कभी आपके मन ऐसा सवाल उठता है। वल्कनाइजेशन नाम की एक प्रक्रिया में स्लेटी रंग के रबड़ को काला किया जाता है। टायर बनाने के लिए उसमें कार्बन ब्लैक मिलाया जाता है, जिससे रबड़ जल्दी न घिसे।

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ऐसे में अगर टायर में साधारण रबड़ लगा दिया जाए तो वह जल्दी से घिस जाएगा और ज्यादा दिन नहीं चल पाएगा। इसलिए इसमें काला कार्बन और सल्फर मिलाया जाता है ताकि वो थोड़ा कड़ा हो सके और काफी दिन तक चल सके। खबर में दिए गए इस तर्क से आपको यह तो साबित हो गया होगा कि, टायर किसी भी साइज का क्‍यों न हो और किसी भी गाड़ी का ही क्‍यों न हो तो भी टायर के कलर में कोई फर्क नहीं होता सभी गाड़ियों के टायर एक ही रंग (काले) के होते हैं। यह कोई संयोग मात्र नहीं बल्कि टायर बनाते समय प्रयोग किए जाने वाली तकनीक के कारण होता है। टायर रंगीन कलर की बजाय काले रंग के बनाने का सीधा मतलब उसकी उम्र से होता है।

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