कुछ भी तो दुख नहीं था उसे
किन्तु सुख कहां था जैसा वह चाहता था वह बात करना चाहता था किन्तु
सब इतने व्यस्त रहते थे कि
किसी के पास फुर्सत नहीं थी और
उसकी तमाम बातें अधूरी सुनी जातीं थीं
किन्तु सुख कहां था जैसा वह चाहता था वह बात करना चाहता था किन्तु
सब इतने व्यस्त रहते थे कि
किसी के पास फुर्सत नहीं थी और
उसकी तमाम बातें अधूरी सुनी जातीं थीं
कोई भी बात पूरी न सुना पाना
उस समय दुख नहीं कहा जाता था
सिर्फ बात न सुना पाना भी क्या कभी
दुख की श्रेणी में माना जाता है वह डरा-डरा-सा रहता था अक्सर
चिन्ताओं से घिरा रहता था हरेक की
और जिनकी चिन्ताओं से वह घिरा रहता था
वे सब उसे ढाढ़स देते रहते थे कि
वह अकारण चिन्ता करना छोड़ दे
उस समय दुख नहीं कहा जाता था
सिर्फ बात न सुना पाना भी क्या कभी
दुख की श्रेणी में माना जाता है वह डरा-डरा-सा रहता था अक्सर
चिन्ताओं से घिरा रहता था हरेक की
और जिनकी चिन्ताओं से वह घिरा रहता था
वे सब उसे ढाढ़स देते रहते थे कि
वह अकारण चिन्ता करना छोड़ दे
इसीलिए कहा मैंने कि कुछ भी तो दुख
नहीं था उसे कि आखिर
जो कहा जाना है
वह न कह सकना भी कोई दुख है भला
नहीं था उसे कि आखिर
जो कहा जाना है
वह न कह सकना भी कोई दुख है भला