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त्योहारो में यूं करें खुशियों की तलाश, अपने साथ-साथ दूसरों की सेहत का भी रखें ध्यान

घर पर बनने वाले पकवान, देवी-देवताओं की पूजा व मेहमानों के आवाजाही मुझे बचपन से ही खुशियां देती रही है

Oct 16, 2016 / 09:11 am

सुनील शर्मा

diwali subh muhurt

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संगीता जैन

त्योहार कोई भी हो मन में उत्साह लेकर आता है। घर पर बनने वाले पकवान, देवी-देवताओं की पूजा व मेहमानों के आवाजाही मुझे बचपन से ही खुशियां देती रही है। न जाने पिछले सालों में ऐसा क्या हो गया कि त्योहर अब औपचारिकताओं भरे ज्यादा लगने लगे है। अब दीपावली आ रही है तो घर की साफ़ सफाई हो रही है। नए कपडे ख़रीदेंगे दीपक जलाएंगे और मान लेंगे कि लक्समी माई हम पर राजी हो गई हैं। आतिशबाजी ऐसी करेंगे जैसे लक्ष्मी माता को सुनाई नहीं देता और उसे बुलाने के लिए शोर जरूरी है।

सच कहूँ तो मन उचट गया है त्यौहारों से… कान फ़ट जाते है रोज लाउडस्पीकरों से भक्ति संगीत के नाम पर कान फोड़ू शोर से। आखिर ये कौनसा तरीका है त्यौहार है। क्या इससे ही किसी को आस्तिक होने का सर्टिफिकेट मिलता है। … मेरे लिये तो त्यौहार वह है जिसमे उन्मादी जोश के बजाये लोगो की मदद का भाव हो। एक दूसरे की मदद की जाए… प्यार और संवेदनशीलता दिखायी जाए। हम इस करेंगे तो क्या खुश नहीं होंगे भगवान ? क्या दीपावली और क्या होली मुझे बर्बादी का माहौल खूब अखरता है। दीपावली पर आतिशी शोर करो भले ही यह शोर किसी को भारी पड़ता हो। होली पर खूब पानी बर्बाद करो भले ही इस देश के कई लोगों को पीने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा हो। यानि हम संस्कृति की रक्षा करें और खूब पानी बर्बाद करें, और होली है इसलिए मर्यादाओं को भी लांघने से नहीं चूकें।

बचपन से जो छवि थी मन में त्यौहारों की… अब जाने कहाँ है… त्यौहार का वैसा ही निश्छल प्रेम भरा स्वरूप कहाँ है? पकवानों की खुशबू और अपनों से मिलने, आशिर्वाद लेने का अवसर होते हैं न त्यौहार तो? अपराधिक प्रवृतियों को कैसे अवसर मिल जाता है? और कहाँ से आये हैं ये लोग? क्यों नहीं आपत्ति दर्ज़ कराते हम त्यौहारों के नाम पर होने वाले हर आपत्तिजनक व्यवहार पर? क्या मतलब है इस बात का कि आज तो त्यौहार है आज कर लेने दो मन की? बड़ों का इतना भी फ़र्ज़ नहीं कि कम से कम अपने बच्चों को समझा दें कि पड़ोस में कोई बीमार हो सकता है, किसी की परीक्षा हो सकती है या नाईट ड्यूटी, ज़रा सा वॉल्यूम तो कम कर लो। और ज़रूरत क्या है गली गली आतिशी तूफान की। प्रदूषण से पृथ्वी को ना झुलसाएं। सिर्फ अपनों की सेहत सलामत रहे इसकी कामना करें।

– लेखिका युवा साहित्यकार है –

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