देश मे बाल अपराधों के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे है, उसे देखते हुए ये कदम उठाया जाना जरूरी है। अखबारों में जब छोटे-छोटे बच्चों से दुष्कर्म की खबरे आती है तो हर इंसान की रूह अंदर से कांप जाती है, ये सोचने की हिम्मत भी नही होती कि उन मासूमो ने किस दर्द को झेला है ऐसे अपराध करने वाले लोग किसी भी तरह इंसान कहलाने लायक नही, वो मानवता पर कलंक है।
सच बात कहे तो फांसी भी उनके लिए उतनी अमानवीय नही जितना अमानवीय कृत्य उन्होंने किया है, इससे भी क्रूर यदि कोई दंड हो तो वो उन्हें मिलना चाहिए। पर इससे भी ज्यादा जरूरी है कि ये दंड मात्र दस्तावेज न बन कर रह जाए, तुरत प्रभाव से इसे अमल में लाया जाए, इस तरह के अपराधों के निपटारे फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में हो ताकि पीडि़त को तुरंत न्याय मिले, ये इस देश की विडंबना है कि कानून व्यवस्था से भय अब समाप्त होता जा रहा है, इसका प्रमाण है कि अब भीड़ ही मामलों का निपटारा करती दिखती है, जो लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
जरूरी है हमारी न्यायपालिका की प्रणाली में सुधार हो जिससे पीडि़तों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके औऱ अपराधियों में खौफ व्याप्त हो, जब तक ऐसे अपराधियो को कठोर दंड नही दिए जाएंगे तब तक समाज मे ऐसे अपराध रुकने वाले नही, उम्मीद है पूरे भारत मे ये विधेयक पारित होगा औऱ ऐसे हैवानों को सजा मिलेगी।