जेनी गैथर का मूवमेंट फाउंडेशन जेनी गैथर ने 2010 में न्यूयॉर्क के एक फिटनेस सेंटर में इंस्ट्रक्टर के रूप में
काम करना शुरू किया तो उन्होंने महसूस किया कि महिलाएं अपनी बॉडी इमेज को लेकर कितनी परेशान रहती हैं। खुद जेनी ने भी कई बार ऐसी परेशानी महसूस की। उन्होंने इससे खुद उबरने और दूसरी महिलाओं को भी उबारने की ठानी और फिर शुरू किया मूवमेंट फाउंडेशन। यहां महिलाओं को अपने शरीर के प्रति कॉन्फिडेंट होने की ट्रेनिंग दी जाती है। पॉजिटिव मेंटोरशिप और फिटनेस मूवमेंट के जरिए महिलाओं को फिटनेस के प्रति फोकस करना सिखाया जाता है।
रेशमा सौजानी का गल्र्स हू कोड मिडिल स्कूल में पढऩे वाली 74 फीसदी लड़कियां साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स स्ट्रीम में अपना कॅरियर बनाना चाहती हैं लेकिन बहुत कम का सपना साकार हो पाता है। न्यूयॉर्क शहर की डिप्टी पब्लिक एडवोकेट रेशमा सौजानी ने ऐसी लड़कियों की मदद करने की ठानी। उन्होंने गल्र्स हू कोड संस्था शुरू की, जो इन क्षेत्रों में जेंडर गैप को कम करने की कोशिश में जुटा है। इस संस्था ने लड़कियों को कम्प्यूटर साइंस की शिक्षा दी और स्किल सिखाई है।
आइरिस रेव का कैम्प केसेम दुनिया भर में लाखों बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता में से कोई एक कैंसर पीडि़त है। ये बच्चे मानसिक रूप से बुरी तरह टूट जाते हैं। उनके पेरेंट भी इससे दुखी हो जाते हैं। आइरिस रेव ने इन बच्चों के दर्द को महसूस किया। उन्होंने वर्ष 2000 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपने चार दोस्तों के साथ कैम्प केसेम नामक संगठन बनाया। इसके तहत कॉलेज स्टूडेंट लीडर्स बच्चों को एक आउटडोर कैंप में हफ्ते भर की फिजिकल और मेंटल ट्रेनिंग देते हैं। घर से दूर यहां बच्चों को फन एक्टीविटीज में व्यस्त करके उन्हे इस बीमारी से मानसिक रूप से लडऩा सिखाया जाता है।
बेट्टी फ्रीडैन का नेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर वीमन ‘दी फेमिनिन मिस्टीक’ की लेखिका बेट्टी फ्रीडैन ने अपनी 27 सहयोगी सखियों के साथ मिलकर यूएस का सबसे बड़ा महिलावादी संगठन ‘नाऊ’ शुरू किया। इसका सबसे बड़ा उद्देश्य यह था कि
रोजगार के क्षेत्र में भेद के आधार पर महिलाओं को अवसर से वंचित न किया जाए। यह संस्था अमरीकी समाज में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संस्था ने अब तक कई मामलों में महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने में सफलता हासिल की है। संस्था की प्रेरणा और इसके माध्यम से बहुत सारी महिलाओं ने राजनीति में प्रवेश लिया, शिक्षा में दिलचस्पी ली और रोजगार व व्यावसायिक क्षेत्र में उनके लिए अवसर बढ़े। आज की तारीख में ‘नाऊ’ की सदस्य लाखों महिलाएं हैं।
ब्लीद हिल का ड्रेसेम्बर महिलाओं को उनके महिला होने की वजह से जिन अत्याचारों और शोषण का सामना करना पड़ता है, उनसे दुखी होकर ब्लीद ने इसका प्रतिवाद बड़े स्तर पर करने का निश्चय किया। वर्ष 2009 में पूरे दिसंबर महीने में उन्होंने ऐसे कपड़े पहने, जिनके लिए महिलाओं पर तंज कसा जाता है। उनके इस एक्शन ने एक आंदोलन का रूप ले लिया। यह श्रृंखला फैलती ही गई तो हिल ने इसके माध्यम से फंड इकट्ठा किया।
जैनब साल्बी का वीमन फॉर वीमन इंटरनेशनल ईराकी मूल की अमरीकी नागरिक जैनब साल्वी विचारधारा से मानवतावादी औऱ पेशे से एक एन्टरप्रेन्योर हैं। उन्होंने महसूस किया कि किसी भी कारणों से उपजी हिंसा में सबसे ज्यादा बुरे नतीजे महिलाओं को ही भुगतने पड़ते हैं। महिलाओं की इस पीड़ा को महसूस कर वर्ष 1993 में उन्होंने वीमन फॉर वीमन इंटरनेशनल संगठन की शुरुआत की जो अशांत और हिंसा पीडि़त देशों में महिलाओं की मदद करता है।
शेनी जो डार्डेन का कीप अ ब्रेस्ट फाउंडेशन शेनी जो की फ्रेंड को ब्रेस्ट कैंसर का पता चला तो वह मानसिक रूप से बुरी तरह टूट गई। अपनी सहेली का दर्द महसूस कर शेनी ने महिलाओं में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने का निश्चय किया और इसी से शुरुआत हुई उनके संगठन ‘कीप अ ब्रेस्ट फाउंडेशन’ की। यह संगठन कला, शिक्षा और विभिन्न इवेंट्स के माध्यम से महिलाओं में इस बीमारी से लडऩे की जागरूकता फैलता है।