ये लिस्ट सामने आते ही वोट बैंक को साधने कि राजनीति शुरू हो गयी हैं। बड़े दुख कि बात हैं कि देश कि सुरक्षा के मुद्दे पर भी राजनीतिक दल एक नही हो पा रहे हैं। वोट बैंक के लिए राष्ट्र कि सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी राजनीति शुरू कर दी गयी हैं। सन 2015 मे माननीय सुप्रीम कोर्ट कि निगरानी मे एनआरसी को अपडेट करने का काम शुरू किया गया था और अगर कोई गलती हुई भी हैं तो ये देखने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट हैं।
अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी देश के हर हिस्से मे फेल गए हैं। इनकी पहचान करके इनको देश से बाहर किया जाना मुश्किल हो चुका हैं। ये घुसपैठिये देश भर मे अपराध और आतंक का पर्याय बन चुके हैं। असम देश का इकलौता राज्य है जहां एनआरसी की व्यवस्था हैं और इसको अपडेट करने मे 1200 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। देश की शांति और सुरक्षा के लिए ये आवश्यक कदम था। ऐसे मे कुछ राजनीतिक दलों द्वारा ऐसा किया जाना दुभाग्यपूर्ण हैं।
इन्ही दलों की शह पर असम मे हिंसा और आगजनी हुई हैं। सरकारी संपत्ति को नुकसान हुआ हैं। आमजन को परेशानी हुई हैं। धरने प्रदर्शन जारी हैं। केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा हैं। वैसे भी अभी केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया हैं कि जिनका नाम इस ड्राफ्ट मे नही हैं, उनको भी और मौका दिया जाएगा इसलिए घबराने कि कोई जरूरत नही हैं, जबकि राजनीतिक पार्टियों द्वारा जबर्दस्ती भय का माहौल बनाया जा रहा हैं। वैसे भी माननीय सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दे ही दिये हैं कि अभी जो लोग नागरिकता साबित नही कर पाये हैं, सरकार उन पर कोई कार्यवाही ना करे। क्योंकि ये अभी सिर्फ एक ड्राफ्ट ही तो हैं।
वैसे भी जो देश की नागरिक हैं उन्हे डरने की जरूरत नही हैं क्योंकि वो देर सबेर अपनी नागरिकता प्रमाणित कर ही देंगे। ऐसे मे उन्हे तो सरकार द्वारा चलाये जा रहे अभियान मे मदद करनी चाहिए और राजनीतिक दलों के बहकावे मे नही आना चाहिए। ऐसे मे जबकि सबकुछ माननीय सुप्रीम कोर्ट कि निगरानी मे चल रहा हैं तब भी कुछ राजनीतिक दलों द्वारा ये कहा जाने कि एनआरसी से देश मे खूनखराबा और गृह-युद्ध के हालात पैदा होंगे। ये निंदनीय और राष्ट्र विरोधी बयान हैं।
अभी भी पूरे देश से अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को खोज कर उन्हे निर्वासित किए जाने के लिए और प्रयासों कि जरूरत हैं। केंद्र सरकार को देश के नागरिकों कि भलाई के लिए हर वो काम करना चाहिए जिससे देश मे शांति और कानून व्यवस्था बनी रहे।