इसकी शुरुआत हम बारिश के पानी को छोटी-छोटी मात्रा मे बाल्टीयों, ड्रमों मे भर कर इकट्ठा कर सकते हैं जिसे गाड़ी धोने, पौधों मे पानी देने, साफ-सफाई जैसे कामों मे इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे उपाय सोचने चाहिये जिससे धरती का जल धरती तक वापस पहुंचाया जासके.सोचिये अगर हम धरती का जल धरती को वापस दे दे तो धरती को भी तकलीफ नही होगी और पानी की कमी भी नही होगी. आज कल के इस दौर मे वर्षा का जल जो कि सबसे अनमोल जल है, व्यर्थ चला जाता है. पुराने जमाने मे गांवो मे एक विशाल गढढे मे वर्षा का पानी इकठ्ठा होजाता था फिर वो गढ्ढा तालाब के रूप मे पानी की आपूर्ति करने करने मे काफी हद तक सहायक होता था.लेकिन धीरे – 2 आधुनिकीकरण होने के कारण तालाब खत्म होते चले गये.पर अब जल संकट को देखते हुवे सरकार को उन तालाबो की याद फिर से आने लगी है. इस समस्या को देखते हुवे जल संकट से निपटने का सबसे बेहतर उपाय है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम।
कई बार तेज़ बारिश का पानी ज़मीन नहीं सोख पाती है या तो फिर काँक्रीट की वजह से वो ज़मीन मे जा ही नहीं पाता, इस तकनीक से हम पानी को गर्मी के मौसम तक भी आसानी से चला पाएंगे। इसके लिए हमें छत के पाइप को ज़मीन से जोड़ना होगा। जुगाड़ के तौर पर हम छत के पाइप पर एक बाॅटल के आगे के हिस्से को काँट कर उस पर एक साधारण पाइप लगा सकते हैं। फिर ज़मीन मे एक लंबा गड्ढा कर के पाइप उसमें डाल दें, जिससे पानी धीरे-धीरे ज़मीन मे चला जाएगा। यह तकनीक बेहद कारगर है, जिसे हम थोड़ी सी मेहनत कर के जल संकट काफी हद तक कम कर सकते हैं और हमारे कल को सुरक्षित करने के प्रति एक क़दम आगे बढ़ा सकते हैं।
– दिक्षा जैन