भारत को 'मानवाधिकार', 'सांप्रदायिकता' से लेकर 'लोकतंत्र के खतरों' के बारे में नसीहत भरे लैक्चर देना अमरीका (USA) जैसे पश्चिमी देशों का पसंदीदा राजनीतिक शगल रहा है। अब अमरीका को आईना दिखाते हुए भारतीय-अमरीकी सांसदों ने कहा है कि इस तरह की नसीहतों से कोई फायदा नहीं होगा और भारत कभी भी उसे स्वीकार नहीं करेगा। अमरीका को अगर भारत को उसके लोकतंत्र की खामियां बतानी है, तो पहले अपने लोकतंत्र की खामियों को स्वीकार करना होगा। डेमोक्रेटिक थिंक-टैंक 'इंडियन अमरीकन इम्पैक्ट' के 'देसी डिसाइड्स' सम्मेलन में इन सांसदों ने कहा है कि मानवाधिकारों पर भारत को व्याख्यान देने से काम चलने की संभावना नहीं है, समान स्तर पर बातचीत करनी होगी। कांग्रेसनल इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष रो खन्ना ने तीन अन्य भारतीय अमरीकी सांसदों श्री थानेदार, प्रमिला जयपाल और डॉ. अमी बेरा के साथ पैनल चर्चा में हिस्सा लिया।
रो खन्ना ने कहा, जब हम मानवाधिकारों के बारे में आप (विदेश मंत्री एस जयशंकर) या किसी अन्य के साथ बातचीत कर रहे हैं, तो आपको यह समझना होगा कि आप सिर्फ भारत को लैक्चर देने के नजरिए से कोई बात नहीं कहें। वे पलटकर कह सकते हैं कि ऐसी औपनिवेशिक शक्तियों के हम सैकड़ों वर्षों तक उपदेश सुनते आए हैं तो यह अमरीका के लिए अच्छा नहीं होगा। बातचीत ऐसी होनी चाहिए कि यहां हमारे लोकतंत्र में यह खामियां हैं, आपके लोकतंत्र में क्या खामियां हैं और हम सामूहिक रूप से लोकतंत्र और मानवाधिकारों को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं, यह अधिक अधिक रचनात्मक दृष्टिकोण होगा।
मैं निश्चित रूप से उम्मीद करती हूं कि भारत का लोकतंत्र जीवित रहेगा। भारत कहता रहा है कि वह एक लोकतांत्रिक देश है, जिसमें कानून के शासन और अपने लोगों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने की स्थायी प्रतिबद्धता है। एक जीवंत लोकतंत्र में ये सभी चीजें होनी चाहिए, बोलने की आजादी, प्रेस की आजादी और पीछे हटने की क्षमता।
भारत अमरीका के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है। मुझे लगता है कि हमें किसी अन्य देश की खामियों की आलोचना करने से पहले अपने देश की खामियों पर बात करनी चाहिए। वास्तव में संसद में यही हमारा काम है। हमें व्याख्यान नहीं देना चाहिए, लेकिन हमें सभी के हितों के बारे में सोचना होगा। हमारे लिए अपने मूल्यों के बारे में सोचना भी महत्वपूर्ण है। जैसे हम उइगरों या दुनिया के किसी अन्य देश के साथ व्यवहार के लिए चीनी सरकार की आलोचना करते हैं, वैसे ही हमें भारत में क्या हो रहा है, इस पर भी ध्यान देने में सक्षम होना होगा लेकिन समझदारी के साथ, ऐसा करने से हम 'बुरे भारतीय' या अपने देश में 'बुरे अमरीकी' नहीं कहलाएंगे।
अमरीका को भारत की आर्थिक शक्ति को पहचानना होगा और चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए भारत ही सबसे अच्छा समाधान है। मैं एक मजबूत भारतीय—अमरीकी रिश्ते का पक्षधर हूं। भारत ऐतिहासिक रूप से रूस और अमरीका दोनों पक्षों से खेलता रहा है। लेकिन अब समय आ गया है कि अमरीका के साथ भारत मजबूत दोस्ती के लिए प्रतिबद्ध हो और यह ऐसी चीज है जिस पर मैं काम करना चाहता हूं। इसलिए, मैं सिर्फ मजबूत भारत-अमरीकी संबंधों पर काम कर रहा हूं।
Updated on:
18 May 2024 10:42 am
Published on:
18 May 2024 10:41 am