2016 में बनाया था ऐप
2016 में कंप्यूटर इंजीनियर अबू जाएद ने जंगी विमानों के हमलों से निपटने के लिए तकनीक बनाने का फैसला किया। इंजीनियरों ने ‘हाला सिस्टम’ तैयार किया। सीरियाई लोग इसे सेंट्री सिस्टम कहते हैं। ये एक संगठन है जो स्थानीय लोगों को जंगी विमान से होने वाले हमले से पहले आगाह करने का काम करता है। इससे लोग सुरक्षित स्थानों पर छिप जाते थे।
आसमान पर नजर रखते थे प्लेन स्पॉटर्स
हाला ऐप से हजारों लोगों को बचाया जा चुका है। इस प्रोजेक्ट को अंजाम तक पहुंचाने के लिए लोगों के मजबूत नेटवर्क की जरूरत थी, जिसे कई महीने की मेहनत के बाद खड़ा किया गया था। इसके लिए शिक्षक, इंजीनियर, किसान और अन्य की टीम बनाई थी जिन्हें प्लेन स्पॉटर कहते थे। टीम के सदस्य जान जोखिम में डालकर रूसी और सीरियाई एयर बेस के करीब और अन्य विरोधियों के क्षेत्र में रहकर अपना काम करते थे। प्लेन स्पॉटर स्मार्टफोन ऐप से लैस रहते थे जो आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में आसमान पर नजर रखते थे। जैसे ही कोई विमान इन्हें दिखता था, ये ऐप पर उसकी लोकेशन, दिशा और हमले वाले हथियारों की जानकारी प्रसारित कर देते थे।
सीरिया में चार अप्रेल की वो काली रात
चार अप्रेल को एक स्पॉटर मोहम्मद अल हसना को रेडियो सिग्नल से पायलट और कमांड सेंटर की बातचीत वॉकी-टॉकी से सुनने को मिल गई। उसने घोषणा कर दी कि जंगी विमान केमिकल से हमला करने वाले हैं। लोगों को बता दो कि मास्क पहन लें। चंद मिनट बाद जंगी विमानों ने नर्व गैस अटैक किया जिससे रात में सोते हुए लोगों की मौत हो गई। इसी मई में हसना की मौत हो गई लेकिन ऐप पर लगातार सूचनाएं आ रही थीं। लोग इससे हैरान थे लेकिन हसना की पत्नी ने बताया कि उनका सात साल का बेटा लोगों को हमलों से बचाने का काम कर रहा था। विमान जब आसपास से गुजरते थे तो उसे पता था कि क्या करना है। ये सब उसने पिता को करते हुए देखा था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सीरिया में हुए केमिकल अटैक की निंदा की थी। ऑर्गनाइजेशन फॉर द प्रॉहिबिशन ऑफ केमिकल वेपन्स से जांच को कहा था।