2019 को भी उतारा था लैंडर (China Moon Mission)
यह दूसरा मौका है, जब चांद के सुदूर हिस्से में लैंडर उतारा गया। पहली बार 2019 में चीन ने ही चांगई-4 मिशन के जरिए यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी (China Moon Mission)। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो चांगई-6 मिशन चीन के लिए एक और मील का पत्थर होगा। मिशन तीन मई को शुरू हुआ था और 25 जून तक चलेगा। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी बर्फ के रूप में जमा है। चीनी विशेषज्ञों का मानना है कि चांगई-6 (Changai-4) लैंडर की ओर से इकट्ठा नमूनों से चांद, पृथ्वी और सौरमंडल की उत्पत्ति, विकास को लेकर महत्त्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं। यह डेटा चीन के लिए इसलिए भी महत्त्वपूर्ण होगा, क्योंकि उसकी योजना 2030 तक चांद पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने की है। चीन दक्षिणी ध्रुव पर रिसर्च बेस भी बनाना चाहता है।
ड्रिल और यांत्रिक हाथ निकालेंगे चट्टान
चीन इस मिशन के जरिए चांद की दो किलो धूल और चट्टान पृथ्वी पर लाएगा। चट्टान निकालने के लिए लैंडर ड्रिल और यांत्रिक हाथ का इस्तेमाल करेगा। यह चांद के सुदूर हिस्से में दो दिन बिताएगा। इकट्ठ सैंपल को वैक्यूम कंटेनर में भेजा जाएगा, जो चांद की परिक्रमा कर रहा है। कंटेनर को री-एंट्री कैप्सूल में ट्रांसफर किया जाएगा, जो 25 जून के आसपास चीन के इनर मंगोलिया क्षेत्र के रेगिस्तान में उतरेगा।
लैंडिंग से पहले 20 दिन परिक्रमा
मिशन का नाम चीनी चंद्रमा देवी चांगई के नाम पर रखा गया है। चीन के सरकारी मीडिया शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक चांगई-6 अपोलो बेसिन नाम के इंपेक्ट क्रेटर पर लैंड हुआ। यह करीब 2,500 किलोमीटर व्यास वाले दक्षिणी ध्रुव के एटकेन बेसिन में है। लैंडिंग से पहले मिशन के ऑर्बिटर, लैंडर, असेंडर और रीएंट्री मॉड्यूल ने 20 दिन तक चांद की परिक्रमा की।