
China's 'Blank-Page Revolution' gets global attention
चीन में पिछले कुछ समय के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों और कोरोना महामारी का प्रसार रोकने के लिए जीरो कोविड नीतियों से परेशान होकर भारी जनाक्रोश भड़क उठा है। मनमाने कठोर प्रतिबंधों के कारण लोग उनके विरुद्ध विरोध प्रदर्शन करने लगे हैं। जिनपिंग सरकार के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन केवल चीन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दूसरे देशों में भी लोग सड़कों पर उतरे हैं। इसे बड़े पैमाने पर चीन सहित दुनियाभर में 'श्वेत पत्र क्रांति' कहा जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई प्रदर्शनकारियों को 'कोरा काज' यानी कि सफेद ए4 साइज के काज की ब्लैंक शीट पकड़े हुए देखा गया है।
इस प्रदर्शन के दौरान चीन की सड़कों पर महिलाएं और पुरुष अपने हाथों में कोरा कागज लिए घूम रहे हैं। कई प्रदर्शनकारी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस्तीफे और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शासन के अंत की मांग कर रहे हैं। सीएनएन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरा कागज अनगिनत महत्वपूर्ण पोस्ट, समाचार लेख और मुखर सोशल मीडिया खातों के लिए रूपक हैं जिन्हें इंटरनेट से मिटा दिया गया था। कोविड विरोधी प्रदर्शनों पर चीन की कार्रवाई ने वैश्विक समुदाय को प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े होने और चीनी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया है।
ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) के अनुसार, इस सप्ताह के अंत में, चीन के सबसे बड़े शहर और वित्तीय केंद्र शंघाई में हजारों लोगों ने सार्वजनिक रूप से सरकार के सख्त कोविड-19 नियमों का विरोध करना शुरू कर दिया और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के सत्तावादी शासन की निंदा की। देश भर के विश्वविद्यालय के छात्र प्रदर्शन करने के लिए अपने परिसरों में एकत्र हुए, जहां से कोविड-19 की उत्पत्ति हुई यानी कि वुहान, चेंगदू, बीजिंग और अन्य बड़े शहरों में सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए।
ये प्रदर्शनकारियों में ये गुस्सा तब फूटा जब 24 नवम्बर को शिनजियांग के उरुमकी में कोविड प्रतिबंधों के दौरान एक इमारत में आग लगने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई थी। यह शहर लगभग 100 दिनों से लॉकडाउन में था। लोगों ने इन मौतों के लिए चीन के क्रूर लॉकडाउन को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन एक चीनी अधिकारी ने इस घटना के लिए वहां के निवासियों को दोषी ठहराया। बस यहीं से मामला और बिगड़ गया। जिसके बाद सबसे पहले शिनजियांग में विरोध शुरू हुआ और फिर धीर-धीरे बीजिंग, शंघाई, चेंगदू, वुहान, लान्झू और नानजिंग में फैल गया।
इन प्रदर्शनों के कारण चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जिन्हें दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार किया जाता है, उनकी नींद इन दिनों उड़ी हुई है। तीसरे कार्यकाल की तरफ देखने वाले जिनपिंग और उनकी सरकार को समझ नहीं आ रहा है कि पिछले कुछ दिनों से देश में जो प्रदर्शन जारी हैं, उन पर कैसे लगाम लगाई जाए। कोरोना को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा अब थम गई है, लेकिन चीन में इसे लेकर खूब शोर-शराबा और हंगामा मचा हुआ है।
कोरा कागज यानी कि खाली सफेद कागज की शीट (ब्लैंक व्हाइट पेपर शीट) चीन में विरोध का प्रतीक बन गई है। यह चीन में फ्री स्पीच की कमी का प्रतीक है। इससे पहले 2020 में हांगकांग में पहले विरोध प्रदर्शन के दौरान लोगों ने हाथों में सफेद कागज लेकर नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का विरोध किया था। लोगों ने इस कानून के तहत बैन किए गए नारों से बचने के लिए संकेत के रूप में सफेद कागज का इस्तेमाल किया था।
यह भी पढ़ें: एलएसी के पास चीन बना रहा एक और सैन्य चौकी, अमेरिकी सांसद ने खोली पोल
Published on:
03 Dec 2022 11:10 am
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
