वहीं लियु के मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों, पश्चिम की सरकारों और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने चीनी प्रशासन से आग्रह किया था कि शियाओबो को रिहा किया जाए और उनकी आखिरी इच्छा के मुताबिक उपचार के लिए विदेश जाने की इजाजत दे दिए जाए।
चीन में विध्वंस फैलाने को लेकर लियु को साल 2009 में 11 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। उनपर कम्युनिस्ट शासन को लोकतंत्र में बदलने के लिए एक राजनीतिक घोषणा पत्र को अमली जामा पहनाने का आरोप था।
गौरतलब है कि चीन में लोकतंत्र के समर्थन में सक्रियता को लेकर साल 2010 में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। तो वहीं लोकतंत्र के प्रबल समर्थकों में शुमार शियाओबो को एक महीने पहले उनको कारागार से अस्पताल में स्थानांतरित किया गया था।