2007 और 2015 के बीच दो बार अर्जेंटीना के राष्ट्रपति रहीं किरचनर को धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का दोषी पाया जाकर 6 साल जेल की सजा सुनाई गई है। तीन-न्यायाधीशों के पैनल ने किरचनर पर एक आपराधिक संगठन चलाने के दूसरे आरोप को खारिज कर दिया, अगर इस मुकदमे में भी वह दोषी पाई जातीं तो उन्हें 12 साल की जेल हो सकती थी।
हालांकि, उनके जल्द ही सलाखों के पीछे होने की संभावना नहीं है। अपने पद के कारण उन्हें प्रतिरक्षा हासिल है और उम्मीद की जा रही है कि इस पर एक लंबी अपील प्रक्रिया चलेगी। ऐसे में उन्हें जेल भेजने में वर्षों लग सकते हैं। फैसले की घोषणा के बाद एक लाइव स्ट्रीम में किरचनर ने कहा कि उन पर लगे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।
फर्नांडीज डी किरचनर के बारे में कई लोगों ने अगले साल राष्ट्रपति पद के लिए दौड़ने की उम्मीद की थी। अब उन्होंने कहा है कि मैं किसी भी पद के लिए उम्मीदवार नहीं बनूंगी, राष्ट्रपति नहीं, सीनेटर नहीं। मेरा नाम किसी मतपत्र पर नहीं होगा।
सितंबर में जानलेवा हमला
अर्जेंटीना में लोकतंत्र लौटने के बाद से सबसे गंभीर घटना में किरचनर पर पिछले सितंबर माह जानलेवा हमला हुआ। ब्यूनस आयर्स (Buenos Aires) में उनके घर के बाहर ही समर्थकों से घिरी किरचनर पर एक शख्स ने पिस्तौल तान दी थी लेकिन गनीमत रही कि ट्रिगर नहीं दब पाया।
यह फैसला पहली बार है जब विभाजनकारी राजनीति करने वालीं फर्नांडीज डी किरचनर को दोषी ठहराया गया है। लेकिन उन पर पहले भी कई अन्य मामलों में आरोप लगाए गए हैं जिनमें मुकदमे में जाने से पहले उन्हें या तो बरी कर दिया गया था या मामलों को खारिज कर दिया गया था। इनमें 1994 के बम हमले में ईरान की भागीदारी को दबाने के लिए ईरानी सरकार के साथ सांठगांठ का आरोप है। जिसमें एएमआईए यहूदी सांस्कृतिक केंद्र में 85 लोग मारे गए थे। उनके खिलाफ सबसे हालिया मामला नोटबुक्स कांड (Notebooks Scandal) है, जिसमें उन पर आरोप है कि उन्होंने रिश्वत के बदले सार्वजनिक निर्माण के ठेके दिए थे।