बता दें कि काहिरा, अलेक्जेंड्रिया और नीद नदी के डेल्टा में स्थित टांटा शहर के कोप्टिक चर्चों में बम विस्फोटों से कम से कम 80 लोग मारे गए थे और कम से कम 41 लोग घायल हुए थे। बाद में इन विस्फोटों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट समूह ने ली थी। बताया जा रहा है कि सभी 36 आरोपियों पर काहिरा के कॉप्टिक कैथेडरल समेत तीन कॉप्टिक चर्चाें पर हुये हमलों में शामिल होने का आरोप है।
शीर्ष धार्मिक संस्था के पास जाता है मामला मिस्र के कानून के अनुसार 36 आरोपियों को मृत्युदंड की सजा दिये जाने पर विचार करने के लिये उनका नाम देश की शीर्ष धार्मिक संस्था के पास भेजा जाता है। हालांकि धार्मिक संस्था फैसला लेने में बाध्य नहीं है। मामले पर वकील ने बताया कि शीर्ष अदालत में 15 मई को फैसला सुनाया जाएगा।
आईएस आए दिन करता है हमला गौरतलब है कि मिस्र में 9.6 करोड़ की आबादी में कोप्टिक अल्पसंख्यक की आबादी करीब 10 प्रतिशत है और आईएस आए दिन इन पर हमला करती रहती है।
15 आतंकियों को दी गई थी फांसी बता दें कि इससे पहले बीते वर्ष दिसंबर माह में मिस्र में 15 आतंकियों को फांसी की सजा दे दी गई थी। इन आतंकियों को 2013 में देश के पूर्वोत्तर में हुए एक हमले का दोषी पाया गया था। यही नहीं, इस हमले में नौ सुरक्षाकर्मी मारे गए थे।
इन दोषियों को यहां चढ़ाया गया फांसी पर इन 15 दोषियों में से 11 को बुर्ज अल-अरब कारागार में फांसी पर चढ़ाया गया था। और बाकियों को वादी अल-नतरुन कारागार में फांसी दी गई थी जो काहिरा से पश्चिम कोई 120 किलोमीटर दूर स्थित है।