कनाडा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
प्रवासन नीति (Migration Policy) में बदलाव के विरोध में छात्रों का प्रदर्शन पीइआइ के सरकारी भवनों के निकट 9 मई को शुरू हुआ था। अनदेखी किए जाने पर 200 से अधिक प्रदर्शनकारी फिर से चार्लोटटाउन में एकत्र हुए और पोस्टर-बैनर लहराते हुए अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की। छात्रों ने प्रांतीय सरकार से हस्तक्षेप करने और बड़ी मात्रा में विदेशी कामगारों की मदद करने का आग्रह किया, जिनके वर्क परमिट जल्द ही समाप्त होने वाले हैं।
कंस्ट्रक्शन वर्करों और नर्स को रियायत, पेशेवरों पर सख्ती
पिछले साल जुलाई में पीइआइ सरकार एक कानून लेकर आई है, जिसमें अब केवल कंस्ट्रक्शन, गृह-निर्माण और स्वास्थ्य देखभाल योग्यता वाले विदेशी छात्रों को ही वर्क परमिट प्राप्त करने की अनुमति दी जा रही है। लेकिन रिटेल सेल्स, सर्विस सेक्टर जैसी विशिष्ट योग्यता वाले छात्रों के लिए स्नातकोत्तर वर्क परमिट को अब प्रतिबंधित कर दिया गया है और इनके वर्क परमिट अब रिन्यू नहीं किए जा रहे। इसका मतलब यह है कि रिटेल सेल्स और सेवा क्षेत्र समेत अन्य उद्योगों में कार्यरत सैकड़ों अप्रवासियों के वर्क परमिट अगले कुछ महीनों में समाप्त होने पर उन्हें बढ़ाया नहीं जा सकेगा। इसके कारण भारतीय समेत कई अंतरराष्ट्रीय छात्र कनाडा के इस सूबे में अब काम करना जारी नहीं रख पाएंगे।
परमानेंट रेसिडेंसी के लिए भी सीटें घटाईँ
इतना ही नहीं, फरवरी में पीइआइ सरकार ने घोषणा की थी कि वह प्रांतीय नामांकन कार्यक्रम (प्रोवेंशियल नोमिनी प्रोग्राम) के जरिए कनाडा में परमानेंट रेसिंडेंसी के लिए नामांकित किए जाने वाले कुछ प्रवासियों की संख्या कम कर देगी। इस कारण 2024 में नामांकित व्यक्तियों की संख्या में 25 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। सरकार के इस फैसले की वजह प्रांत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर बढ़ते दबाव और आवास संकट है।
पहले बुलाया, अब कह रहे हैं जाओ
प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे विपक्ष के नेता रूपेंदर सिंह ने इस पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कहा है कि, पहले उन्होंने हमें यहां बुलाया, अब वे चाहते हैं कि हम चले जाएं… हमारे प्रांत ने हमें झूठी उम्मीदें दीं। 2019 में भारत से कनाडा आए सिंह ने कहा, वे हमें गलत जानकारी दे रहे थे। यह पूरी तरह से शोषण है।
छात्रों की मांगें
प्रदर्शनकारी छात्रों ने वर्क परमिट के विस्तार और आव्रजन नीतियों में हाल में किए गए बदलावों की समीक्षा की मांग की है। भारत की प्रतिक्रिया
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने इस दावे को खारिज कर दिया कि सैकड़ों भारतीय छात्र ‘निर्वासन’ का सामना कर रहे हैं। जयसवाल ने कहा कि यहां-वहां कुछ मामले हो सकते हैं, लेकिन उन्हें कोई बड़ी समस्या नहीं दिखती।