केंद्रीय इस्फहान प्रांत के एक चिकित्सक ने कहा कि उनका मानना है कि प्रदर्शनकारी पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग तरीकों से लक्षित करते हुए सुरक्षा बल गोलियां चला रहे हैं। उन्होंने कहा, मैंने 20 साल की उम्र की एक महिला का इलाज किया था, जिसके जननांग में दो छर्रे दागे गए। जांघ में दस अन्य छर्रे लगे थे।
कुछ अन्य चिकित्सा पेशेवरों ने सुरक्षा बलों पर दंगा नियंत्रण प्रथाओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया, जिसमें महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए केवल पैरों पर हथियार चलाना शामिल है। तेहरान के पास एक शहर कारज के एक डॉक्टर ने कहा कि सुरक्षा बल यौन जटिलताओं और हीनभावनाओं से घिरे हैं, ‘वे महिलाओं के चेहरे और प्राइवेट पार्ट्स पर पर गोली मारकर अपनी यौन-कुंठाएं ही जाहिर कर रहे हैं।’
घायलों का इलाज करने वाले डॉक्टरों को धमकियां दी जा रही हैं। माजंदरान की एक डॉक्टर ने कहा कि वह बहुत कम रोशनी में धातु और प्लास्टिक के छर्रों को हटाने पर मजबूर है ताकि लाइट से पता नहीं चले कि अस्पताल खुला हुआ हैं। डॉक्टर ने कहा, ‘महिलाओं को अस्पताल जाने में शर्म आती है, कई का इलाज घर पर हो रहा है। यह खतरनाक है लेकिन कोई उपाय नहीं बचे हैं।’
विशेष रूप से कुर्दिस्तान क्षेत्र में जहां सरकार ने शहरों को बंद कर दिया है, स्वयंसेवकों को बैंडेज और दवाओं को गुपचुप तरीके से पैदल ही लाना पड़ रहा है। डॉक्टरों की एक समिति का हिस्सा कुर्दिश मानवाधिकार कार्यकर्ता सोरन मंसूरनिया कहती हैं, घायलों की संख्या बहुत अधिक है। हर दिन हम एक घायल व्यक्ति की मौत के बारे में सुनते हैं जो गिरफ्तारी के डर से अस्पताल नहीं जाता था।
ईरान में महीनों से चले आ रहे एंटी-हिजाब प्रदर्शनों में पहली बार एक प्रदर्शनकारी को फांसी दी गई है। मोहसिन शेकारी को 25 सिंतबर को तेहरान में सत्तार खान बुलेवार्ड सड़क को अवरुद्ध करने और एक सुरक्षाकर्मी को घायल करने का दोषी पाया गया था। ईरान के इस कदम का मानवाधिकार संगठनों और पश्चिमी देशों ने विरोध किया है।