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18 सालों तक एयरपोर्ट पर ही गुजर-बसर, यही ली अंतिम सांस , टर्मिनल मूवी का रीयल लाइफ हीरो था यह ईरानी शख्स

Real Life Hero of Terminal Movie Passes Away: अगर आप हॉलीवुड फिल्मों के शौकीन हैं तो आपको जुरासिक पार्क (Jurassic Park) जैसी फिल्में बनाने वाले स्टीवन स्पीलबर्ग (Steven Spielberg) की टॉम हैंक्स अभिनीत 2004 की फिल्म ‘द टर्मिनल’ (The Terminal) याद ही होगी। फिल्म का मुख्य किरदार एयरपोर्ट टर्मिनल को ही अपना घर बनाने के लिए मजबूर हो जाता है। यह फिल्म असल जिंदगी के जिस ईरानी शख्स से प्रभावित थी, उसकी मृत्यु हो गई है।

Nov 13, 2022 / 11:53 am

Amit Purohit

18 सालों तक एयरपोर्ट पर ही गुजर-बसर, यही ली अंतिम सांस , टर्मिनल मूवी का रीयल लाइफ हीरो था यह ईरानी शख्स

18 सालों तक एयरपोर्ट पर ही गुजर-बसर, यही ली अंतिम सांस , टर्मिनल मूवी का रीयल लाइफ हीरो था यह ईरानी शख्स


पेरिस के चार्ल्स डी गॉल हवाई अड्डे (Paris’s Charles de Gaulle airport) पर 18 साल तक जिंदगी बिताने वाले और 2004 की स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म द टर्मिनल की प्रेरणा बनने वाले ईरानी शख्स करीमी नासेरी ने एयरपोर्ट पर ही अपनी अंतिम सांस ली है। पेरिस एयरपोर्ट अथॉरिटी के मुताबिक मेरहान करीमी नासेरी (Merhan Karimi Nasseri) का एयरपोर्ट टर्मिनल 2-एफ में स्थानीय समयानुसार शनिवार दोपहर को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। पुलिस और एक मेडिकल टीम ने उसका इलाज किया लेकिन उसे बचा नहीं पाए।
मजबूरी में बन गया एयरपोर्ट ही घर
फ्रांसीसी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार करीमी नासेरी का जन्म 1945 में हुआ था। वे 1988 से 2006 तक हवाई अड्डे के टर्मिनल 1 में रहे। पहले कानूनी चुनौतियों के चलते क्योंकि उनके पास रेजीडेंसी कागजात की कमी थी और बाद में अपनी पसंद से। रिपोर्ट के अनुसार नासेरी के पिता एक ईरानी डॉक्टर थे। मां स्कॉटलैंड की एक नर्स थीं। वे ब्रैडफोर्ड विश्वविद्यालय में यूगोस्लाव स्टडी में तीन वर्षीय पाठ्यक्रम लेने के लिए सितंबर 1973 में यूनाइटेड किंगडम पहुंचे। नासेरी का दावा था कि ईरान के अंतिम शाह राजा मोहम्मद रजा पहलवी के विरोध के कारण उन्हें ईरान से निष्कासित कर दिया गया था। वे ब्रिटेन (Britain) में बसना चाहते थे लेकिन उनके कागजात खो गए और उन्हें फ्रांस (France) लौटा दिया गया। जहां उन्हें शुरू में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन फिर एयरपोर्ट पर उनका प्रवेश कानूनी होने के कारण रिहा कर दिया गया था और उनके पास लौटने के लिए कोई मूल देश नहीं था; इस तरह टर्मिनल 1 पर रहने का उनका सफर शुरू हुआ।
2006 में हटाया, हाल में वापस लौटे
नासेरी को एयरपोर्ट से 2006 में हटाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनके बैठने की जगह को नष्ट कर दिया गया। जनवरी 2007 के अंत में, उन्होंने अस्पताल छोड़ दिया और फ्रेंच रेड क्रॉस की हवाई अड्डे की शाखा द्वारा उनकी देखभाल की गई। उन्हें कुछ हफ्तों के लिए हवाई अड्डे के पास एक होटल में रखा गया था। 6 मार्च 2007 को, एम्मॉस चैरिटी रिसेप्शन-सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया। 2008 तक, वह पेरिस के एक आश्रय में रह रहे थे। हालांकि मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि अपनी मृत्यु से पहले हाल में वे वापस एयरपोर्ट लौट आए थे।
एयरपोर्ट पर बैठे-बैठे लिख डाली आत्मकथा
चार्ल्स डी गॉल हवाई अड्डे के टर्मिनल 1 पर अपने 18 साल के लंबे प्रवास के दौरान, नासेरी ने अपना सामान अपने पास रखा और अपना समय पढ़ने, अपनी डायरी में लिखने या अर्थशास्त्र का अध्ययन करने में बिताया। एयरपोर्ट के कर्मचारियों से लेकर यात्री तक उनके भोजन-पानी की व्यवस्था कर देते थे। यहीं बैठे—बैठे उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी जो टर्मिनल मूवी की प्रेरणा बनी। उनकी जिंदगी पर एक और फ्रांसीसी फिल्म टॉम्बस डू सिएल भी बनी थी।

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