गुप्तचरों ने जनाना चिकित्सालय वह रिपोर्ट भी ली, जिसे प्रशासनिक स्तर पर चिकित्सकों की गठित टीम ने तैयार की थी। इसके अलावा नर्सेज स्टाफ की रिपोर्ट का भी सीआईडी प्रतिनिधियों ने गहनता से अध्ययन किया। इधर, एमबी हॉस्पिटल प्रशासन की ओर से मामले में कार्रवाई को लेकर अधीक्षक स्तर पर हस्ताक्षरशुदा रिपोर्ट हाथीपोल थाने को नहीं मिल सकी है। इसके बावजूद पुलिस स्तर पर बयान लेने के साथ अग्रिम प्रक्रिया जारी है। इधर, सौदागरों से जुड़े कुछ लोग पुलिस और पत्रिका से दूरभाष पर संपर्क कर मामले को रफा-दफा कराने के प्रयास में जुटे हुए हैं।
READ MORE: PATRIKA STING: शरबत यानी खून की सौदेबाजी का सरगना एम्बुलेंस संचालक, उदयपु्र में एमबी और जनाना हॉस्पिटल में ब्लड का काला कारोबार, Video गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने 12 जनवरी को ‘गरीब जिंदगी का सौदा, खून से कमाई’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर चिकित्सालय में हजारों रुपए देकर खून के लिए लुट रहे गरीब परिवारों की परेशानी का खुलासा किया था।
चिकित्सकीय टीम ने भी माना
इधर, पन्नाधाय महिला राजकीय चिकित्सालय अधीक्षक डॉ. सुनीता माहेश्वरी की ओर से गठित जांच कमेटी ने भी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में खून की सौदागरी को स्वीकार किया गया है। यह कहते हुए कि गरीब परिवार से हजारों रुपए में सौदागरों ने सौदा किया था। जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि गरीब परिवार की ओर से खून के बदले खून देने की सहमति नहीं दी गई थी।
चिकित्सालय में भर्ती लीला का पति हरीश मीणा को गुमराह कर लोगों ने 29 नंबर वार्ड में भेज दिया था, जहां अवैध धंधे में लिप्त लोगों ने उससे सौदेबाजी की। रिपोर्ट में विशेषज्ञों की ओर से ऐसे मामले में भविष्य के सुधार को लेकर सलाह भी दी गई है। यह कहते हुए कि खून जैसे मामलों में जागरूकता की जरूरत है। चिकित्सालय की जांच कमेटी ने मामले में एमबी हॉस्पिटल प्रशासन को भी सलाह दी है।
एमबी हॉस्पिटल का जिम्मा
हकीकत में ब्लड बैंक एमबी हॉस्पिटल का जिम्मा है। इस अपराध का जन्म भी ब्लड बैंक में हुआ है। हमारे यहां तो केवल मरीज ही भर्ती था। ऐसे में एफआईआर दर्ज कराने की जिम्मेदारी एमबी हॉस्पिटल अधीक्षक की है।
डॉ. सुनीता माहेश्वरी, अधीक्षक, जनाना चिकित्सालय