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मुश्किलों के बावजूद इजराइल-फलिस्तीन में शांति बहाली की उम्मीद

-ट्रंप के दामाद (Son-in-law of Trump) जेरेड कुशनर की अगुवाई में गठित शांति समिति ने दोनों देशों के बीच फासला कम करने की बजाय बढ़ा दिया

Sep 22, 2019 / 06:11 pm

pushpesh

मुश्किलों के बावजूद इजराइल-फलिस्तीन में शांति बहाली की उम्मीद

मुश्किलों के बावजूद इजराइल-फलिस्तीन में शांति बहाली की उम्मीद

अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के मध्य-पूर्व शांति योजना के मुख्य योजनाकार जेसन ग्रीनब्लाट ने पिछले दिनों इस्तीफा दे दिया। माना जाता है कि वे इजराइल और फलिस्तीन को लेकर अमरीकी रुख से नाराज थे। इससे यह तो साफ है कि मध्य-पूर्व में शांति प्रक्रिया पर पुनर्विचार अमरीका की विफलता दर्शाता है। सवाल ये है कि इसे आगे कैसे बढ़ाया जाए? सबसे पहले शांति टीम को दुरुस्त करना चाहिए, जिसे अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने दामाद जेरेड कुशनर की अध्यक्षता में गठित की थी। समिति ने पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र पर ध्यान दिए बिना यरूशलम में इजराइल की संप्रभुता को मान्यता देकर बातचीत के आधार को तोड़ दिया। टीम ने फलिस्तीनियों के साथ राजनयिक संबंध भी तोड़ लिए। इतना ही नहीं सरकार ने फलिस्तीनियों को मिलने वाली शिक्षा, सुरक्षा और सेहत से जुड़ी सभी तरह की सहायता में भी कटौती कर दी। इससे भी आगे अमरीका गोलान पहाडिय़ों पर इजराइल का साथ देकर उसे और हिस्सों पर कब्जा करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
अरब देशों के लिए बड़ी विफलता
इस बीच कुशनर, ग्रीनब्लेट और डेविड फ्रीडमैन (इजराइल में अमरीकी राजदूत) ने साफ कर दिया है कि अब उनके नेता दोनों देशों के बीच समाधान और समर्थन की बजाय उस नीति को बढ़ाएंगे, जिसे उन्होंने फलिस्तीनी स्वायत्तता कहा है। यह न केवल फिलिस्तीन, बल्कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य अरब देशों के लिए बड़ी विफलता होगी। इस सारी परेशानी में व्हाइट हाउस वही कर रहा है, जो उसने ओबामाकेयर के साथ किया, यानी रिप्लेस नहीं निरस्त। यह नीति न फिलिस्तीन के लिए ठीक है और न ही अरब देशों के लिए।
ईरान के खिलाफ नहीं मिलेगा साथ
इजराइल के लिए आम सहमति बनाने बनाने से खुला संघर्ष खत्म हो जाएगा, लेकिन यह ईरान के खिलाफ इजराइल और खाड़ी देशों के बीच एक मजबूत गठबंधन की संभावना को रोकेगा। हालांकि दोनों देशों के बीच समाधान के लिए अमरीका की प्रतिबद्धता को पुनर्जीवित करने में बहुत देर नहीं हुई है, भले ही उसे अगले राष्ट्रपति की प्रतीक्षा करनी पड़े। अमरीका को स्पष्ट करना चाहिए कि यरूशलम में इजराइल की संप्रभुता की मान्यता पश्चिमी यरूशलम पर लागू होती है न कि पूर्वी यरूशलम पर कब्जा करने के लिए, जिसके बारे में स्थिति वार्ता से निर्धारित की जानी है।

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