इस बीच कुशनर, ग्रीनब्लेट और डेविड फ्रीडमैन (इजराइल में अमरीकी राजदूत) ने साफ कर दिया है कि अब उनके नेता दोनों देशों के बीच समाधान और समर्थन की बजाय उस नीति को बढ़ाएंगे, जिसे उन्होंने फलिस्तीनी स्वायत्तता कहा है। यह न केवल फिलिस्तीन, बल्कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य अरब देशों के लिए बड़ी विफलता होगी। इस सारी परेशानी में व्हाइट हाउस वही कर रहा है, जो उसने ओबामाकेयर के साथ किया, यानी रिप्लेस नहीं निरस्त। यह नीति न फिलिस्तीन के लिए ठीक है और न ही अरब देशों के लिए।
इजराइल के लिए आम सहमति बनाने बनाने से खुला संघर्ष खत्म हो जाएगा, लेकिन यह ईरान के खिलाफ इजराइल और खाड़ी देशों के बीच एक मजबूत गठबंधन की संभावना को रोकेगा। हालांकि दोनों देशों के बीच समाधान के लिए अमरीका की प्रतिबद्धता को पुनर्जीवित करने में बहुत देर नहीं हुई है, भले ही उसे अगले राष्ट्रपति की प्रतीक्षा करनी पड़े। अमरीका को स्पष्ट करना चाहिए कि यरूशलम में इजराइल की संप्रभुता की मान्यता पश्चिमी यरूशलम पर लागू होती है न कि पूर्वी यरूशलम पर कब्जा करने के लिए, जिसके बारे में स्थिति वार्ता से निर्धारित की जानी है।