
Monsoon in Asia
Monsoon Update 2024: गर्मी से परेशान एशिया के लोगोंं के लिए यह खुशखबरी है कि मानसून ( Monsoon )आने में अब बहुत कम दिन रह गए हैं। मौसम विभाग के अनुसार भारत के साथ एशिया के कई देशों में एक जून को मानसून दस्तक देगा। आगामी मानसून सीज़न ( Monsoon Season) के दौरान अधिकतर दक्षिण एशियाई देशों में 'सामान्य से अधिक' वर्षा होने की भविष्यवाणी की गई है।
WMO और क्षेत्रीय जलवायु केंद्र पुणे द्वारा समर्थित दक्षिण एशिया जलवायु आउटलुक फोरम के अनुसार, दक्षिण एशिया के अधिकांश हिस्सों में 2024 दक्षिण-पश्चिम मानसून सीज़न (जून-सितंबर) के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। अधिकांश क्षेत्र में तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।
मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान पाकिस्तान, भारत, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और मध्य भूटान के अधिकांश हिस्सों में सामान्य या उससे अधिक वर्षा होगी। एसएएससीओएफ-28 में भाग लेने वाले विशेषज्ञों के अनुसार इसके दक्षिण-पश्चिमी तट को छोड़कर, अफगानिस्तान, भूटान के शेष क्षेत्रों और म्यांमार के बड़े हिस्सों में सामान्य वर्षा की भविष्यवाणी की गई है।
मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण एशिया में कुछ उत्तरी और उत्तर, पूर्व और उत्तरपूर्वी हिस्सों को छोड़ कर, इस साल जून से सितंबर के मौसम के दौरान सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। मौसमी वर्षा सामान्य होने की सबसे अधिक संभावना है।
भारत और बांग्लादेश के साथ-साथ कई दक्षिण एशियाई देशों में भीषण गर्मी पड़ रही है। तापमान पर एसएएससीओएफ के पूर्वानुमान से पता चलता है कि मौजूदा गर्मी के मौसम के दौरान, अधिकांश क्षेत्रों में दिन का तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया जाएगा। पश्चिम अफगानिस्तान, उत्तरी और पूर्वी पाकिस्तान और निकटवर्ती गुजरात-राजस्थान, उत्तरी महाराष्ट्र, तटीय कर्नाटक और केरल, लक्षद्वीप, दक्षिण-पश्चिमी श्रीलंका, नेपाल, भूटान के साथ-साथ मध्य और दक्षिणी म्यांमार सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से होंगे।
ध्यान रहे कि दक्षिण एशियाई जलवायु आउटलुक फोरम के अनुसार पश्चिमी अफगानिस्तान, उत्तरी और पूर्वी पाकिस्तान गर्मियों में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र हैं। वहीं भारत में निकटवर्ती गुजरात-राजस्थान, उत्तरी महाराष्ट्र, तटीय कर्नाटक और केरल, लक्षद्वीप भी प्रभावित हैं।
एसएएससीओएफ फोरम के अनुसार आगामी सीज़न में अच्छी बारिश में सहायता के लिए कई अनुकूल समुद्री-वायुमंडलीय कारक जिम्मेदार हैं। पिछले साल जून में शुरू हुई अल नीनो की स्थिति कमजोर हो रही थी। एसएएससीओएफ के मुताबिक वर्तमान में, भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में मध्यम अल नीनो स्थितियाँ प्रचलित हैं। स्थितियां और कमजोर होने की संभावना है और मानसून के शुरुआती भाग के दौरान अल नीनो दक्षिणी दोलन ( ENSO) तटस्थ स्थितियां विकसित होंगी। इसके बाद, मॉनसून सीज़न की स्थिति विकसित होने की संभावना है।
अल नीनो भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के किनारे प्रचलित सामान्य से अधिक गर्म समुद्री स्थिति है और भारत में ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा को दबाने के लिए जाना जाता है। इसके विपरीत, ला नीना उसी क्षेत्र में ठंडी समुद्री स्थिति है और दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान सामान्य या अधिक वर्षा से जुड़ी है।
इस बात की प्रबल संभावना है कि हिंद महासागर डिपोल (IOD) - हिंद महासागर में प्रशांत महासागर के ईएनएसओ का समकक्ष - एक सकारात्मक चरण में प्रवेश करेगा, जो क्षेत्र पर दक्षिण-पश्चिम मानसून को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। वर्तमान में, IOD अपने तटस्थ चरण में है। समुद्र की सतह का तापमान स्वाभाविक रूप से समय-समय पर अल नीनो, ईएनएसओ तटस्थ और ला नीना से बदलता रहता है।
Updated on:
25 May 2024 06:36 pm
Published on:
25 May 2024 06:35 pm
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