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जन्म से हाथ-पैर नहीं थे, अब कोच और मोटीवेशनल स्पीकर हैं

-अमरीका के रॉबर्ट मेंडेज (Rob Mendez) ने शारीरिक अक्षमता को हराकर जीतने का मंत्र दिया, अब वे हताश लोगों को जीत और जज्बे का पाठ पढ़ाते हैं

Sep 29, 2019 / 05:53 pm

pushpesh

जन्म से हाथ-पैर नहीं थे, अब कोच और मोटीवेशनल स्पीकर हैं

जन्म से हाथ-पैर नहीं थे, अब कोच और मोटीवेशनल स्पीकर हैं

जरूरी नहीं शारीरिक रूप से सक्षम व्यक्ति ही कामयाबी के शिखर तक पहुंचे। अमरीका में फुटबॉल टीम के कोच रॉब मेंडेज जूनियर दूसरों से अलग हैं, इसलिए नहीं कि वे उनके हाथ-पैर नहीं है, बल्कि इसलिए कि उन्होंने शारीरिक अक्षमता को ही अपनी ताकत बना लिया। मेंडेज का ध्येय वाक्य है ‘कौन कहता है कि मैं नहीं कर सकता’ मेंडेज की कहानी जितनी संघर्षपूर्ण है, उतनी ही प्रेरक भी। टेट्रा अमेलिया नामक दुर्लभ बीमारी के कारण बिना हाथ-पैरों के पैदा हुए मेंडेज ने हताश होने की बजाय अपना ध्यान सिर्फ इस बात पर केंद्रित कर दिया कि वे क्या कर सकते हैं। यही सोच उन्हें निरंतर आगे बढऩे की प्रेरणा बनीं।
अपने सपने की बुनियाद को मजबूत करने में उन्हें एक दशक लगा दिया, यानी कठोर परिश्रम और मानसिक तैयारी। इसके बाद उन्हें कैलिफोर्निया के सराटोगा में प्रॉस्पेक्ट हाई स्कूल में जूनियर वैलिटी फुटबॉल टीम के लिए मुख्य कोच चुना गया। शुरुआती विफलता के बाद उन्होंने टीम को दृढ़ता का पाठ पढ़ाकर विजेता बनाया। अब उनकी पहचान एक मजबूत व्यक्ति के रूप में होती है। जिसने शारीरिक कमी को अपनी ताकत बनाया।
मां-पिता ने कदम-कदम पर साथ दिया
इसी वर्ष उन्हें जिमी वी पुरस्कार दिया गया। रॉब ने उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया, जिनकी वजह से वे आज यहां पहुंचे हैं। इनमें उनकी मां हैं, जिन्होंने उनमें उम्मीदों के बीज बोये। उनके पिता, जिन्होंने खेले के प्रति उनकी दीवानगी को आगे बढ़ाया। उन्होंने कोच के योग्य समझने के लिए स्कूल प्रशासन और छात्रों का भी शुक्रिया अदा किया।

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