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पीएम मोदी की कोशिशों पर चीन ने फेरा पानी, भारत को नहीं मिली NSG में एंट्री

एनएसजी (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) में शामिल होने की भारत की तमाम कोशिशें नाकाम हो गई हैं। शुक्रवार को 48 देशों वाले इस समूह की अहम बैठक में सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी पर कोई फैसला नहीं हो पाया।

Jun 24, 2016 / 06:33 pm

Kamlesh Sharma

china

एनएसजी (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) में शामिल होने की भारत की तमाम कोशिशें नाकाम हो गई हैं। शुक्रवार को 48 देशों वाले इस समूह की अहम बैठक में सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी पर कोई फैसला नहीं हो पाया। 
एनपीटी (परमाणु अप्रसार संधि) पर साइन नहीं करने वाले देशों को समूह में शामिल नहीं करने का चीन समेत कुछ सदस्यों का रुख कायम रहा। चीन ने भारत की दावेदारी का इस आधार पर विरोध किया है कि चूंकि उसने एनपीटी पर साइन नहीं किया है, इसलिए उसे इस क्‍लब में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। भारत के खिलाफ चीन की इस दलील को करीब 10 अन्य देशों का भी समर्थन मिला। 
दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में शुक्रवार को एनएसजी मेंबर्स की अहम बैठक खत्म होने के साथ ही भारत की दावेदारी का अभियान भी खत्म हो गया। भारत की दावेदारी को अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस समेत कई देशों का समर्थन मिला था, लेकिन एनएसजी सर्व सहमति से किसी देश को सदस्य बनाती है। इसके पहले ताशकंद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से विशेष मुलाकात कर समर्थन मांगा था। 
मोदी ने चिनफिंग से कहा कि भारत के आवेदन पर चीन निष्पक्ष रवैया अपनाकर समर्थन करें। हालांकि चीन एनटीपी वाली अपनी दलील पर कायम रहा। एनएसजी सर्व सहमति से किसी को मेंबर बनाती है। भारत पिछले कुछ वर्षों से एनएसजी का सदस्य बनने की कोशिश कर रहा था। इसके लिए 12 मई को औपचारिक आवेदन किया गया था। एनएसजी न्यूक्लियर सेक्टर से जुड़े बड़े मुद्दों की निगरानी करता है। इसके सदस्यों को न्यूक्लियर टेक्नॉलजी के ट्रेड और एक्सपोर्ट की इजाजत होती है।

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