सिंध प्रांत की विधानसभा में पेश किए गए अल्पसंख्यक सुरक्षा विधेयक का सभी दलों ने समर्थन किया।पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं, लेकिन पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि देश के किसी राज्य में इसे दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। सिंध में पारित किए गए नए अल्पसंख्यक सुरक्षा कानून के अनुसार, जबरन धर्म परिवर्तन कराने का दोषी पाए जाने पर पांच साल से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
इसके अलावा दोषी को पीड़ितों को हर्जाना भी देना होगा।नए कानून के अनुसार, जरबन धर्म परिवर्तन कराए गए शख्स की शादी कराने वाले व्यक्ति को भी तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। नए कानून के अनुसार, नाबालिगों के धर्म परिवर्तन को पूरी तरह गैरकानूनी घोषित किया गया है।
नए कानून के अनुसार, धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को 21 दिन पहले इसकी सूचना देनी होगी। सिंध विधानसभा में ये विधेयक पाकिस्तान मुस्लिम लीग के हिंदू विधायक नंद कुमार गोकलानी ने 2015 में पेश किया था। नंद कुमार ने इस विधेयक को पारित कराने के लिए सभी दलों का आभार व्यक्त किया। पाकिस्तान में करीब 20 लाख हिंदू आबादी है। हिंदुओं के अलावा पाकिस्तान में सिख, बौद्ध, ईसाई, बहाई, अहमदिया इत्यादि धर्म के भी अल्पसंख्यक हैं।
गोकलानी ने विधेयक पारित होने के बाद कहा कि हमने ऐतिहासिक कानून बनाया और पारित किया है। इससे हिंदू अल्पसंख्यकों का शोषण रुकेगा और वो पहले से ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे। पाकिस्तान में पिछले कुछ दशकों में अल्पसंख्यकों की आबादी में तेजी से कमी आई है। पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराकर उनकी शादी कराने के मामले भी अक्सर सामने आते रहे हैं। विभिन्न पाकिस्तानी और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन पाकिस्ता में जबरन धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाने की मांग करते रहते हैं।