सरकार स्थिति को काबू करने की बजाए नागरिकों को धमकाने के साथ विपक्षी पार्टियों के नेताओं को गिरफ्तार करने में लगी है। इससे राजनीतिक बदलाव की मांग तेज होने लगी है, लेकिन अमरीकी सेना के दखल से ये किसी हाल में संभव नहीं हो सकेगा। वेनेजुएला ग्रेनाडा और पनामा जैसा नहीं है जो शीतयुद्ध के बाद बने थे। वे ईराक से दोगुना बड़ा है लेकिन जनसंख्या की तुलना में छोटा है पर अराजकता की स्थिति कहीं अधिक है। अमरीकी सेना वेनेजुएला में अपनी धाक बनाती है तो करीब एक लाख सैनिकों की जरूरत होगी। मादुरो ने राजनीतिक साजिश बताया है। अमरीकी सेना को वेनेजुएला में लंबा वक्त गुजारना होगा और अमरीका को विशेष बजट भी देना होगा।
अमरीकी सेना अगर वेनेजुएला को सुधारने के लिए दखल देती है जो उसे वहां लंबा वक्त गुजारना होगा। क्योंकि वेनेजुएला में बिजली सयंत्र, सीवेज सिस्टम, अस्पताल, स्कूल और दूसरे निकायों की स्थिति बद से बद्दतर हो चुकी है। अमरीकी सेना के दखल के बाद शरणार्थियों की देखभाल के लिए अमरीकी सरकार को करोड़ों की रकम खर्च करनी पड़ेगी जैसा उसे ईराक और अफगानिस्तान में करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में जो वेनेजुएलाई नागरिक अमरीका में शरण ले चुके हैं उनका भी खयाल अमरीका को रखना होगा और वे भी तब तक जब तक उनके देश में हालात ठीक नहीं हो जाते। वेनेजुएला की त्रासदी ने वहां के नागरिकों के साथ वहां की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को तोड़ मरोड़ कर रख दिया है। ऐसे हालात में अब उसके पड़ोसी मुल्कों को उसका खयाल रखना होगा जिससे देश में कूटनीतिक, वित्तीय और मानवीय हालात को बेहतर किया जा सके जिससे भविष्य का वेनेजुएला सुंदर और समृद्ध बन सके।