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Space News: मिल गया धरती जैसी दूसरा ग्रह, जानिए जीवन संभव है या नहीं?

Space News: वैज्ञानिकों की दृष्टि में यह ग्रह महत्वपूर्ण है क्योंकि ये पहली बार हमारे सौरमंडल के बाहर किसी ग्रह की सतह और उसकी बनावट को करीब से समझने का मौका दे सकता है।

नई दिल्लीMay 22, 2024 / 11:48 am

Jyoti Sharma

Speculos-3, second Earth-like planet found

Speculos-3, second Earth-like planet found

Space News: वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के आकार का एक ग्रह खोजा है। इस पर बहस शुरू हुई कि क्या इस पर जीवन संभव है। इसकी रिसर्च कर वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इस ग्रह स्पेक्यूलोस-3 पर सूर्य से कई गुना ज्यादा विकिरण पड़ता है, जिससे करोड़ों साल पहले ही इसका वातावरण नष्ट हो चुका है। वर्तमान में ये ग्रह केवल एक चट्टानी गेंद की तरह है और इस पर जीवन की संभावना नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों की दृष्टि में यह ग्रह महत्वपूर्ण है क्योंकि ये पहली बार हमारे सौरमंडल के बाहर किसी ग्रह की सतह और उसकी बनावट को करीब से समझने का मौका दे सकता है। 

हर 17 घंटे में सूरज के चक्कर लगाता है ये ग्रह

बता दे कि ये रिसर्च नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। स्पेक्यूलोस-3 बी नामक यह नया पथरीला ग्रह पृथ्वी से करीब 55 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह ग्रह अपने सूर्य के इतना करीब है कि हर 17 घंटे में उसका चक्कर लगा लेता है, लेकिन इस ग्रह पर दिन और रात कभी खत्म नहीं होते है। वैज्ञानिकों को मानना है कि यह ग्रह अपने तारे से ठीक वैसे ही समीप है, जैसे पृथ्वी से चंद्रमा। इसी कारण इसका एक हिस्सा हमेशा तारे की रोशनी में रहता है, जिससे वहां हमेशा दिन होता है और इसका दूसरा हिस्सा हमेशा अंधेरे में रहता है जिस कारण वहां हमेशा रात होती है।

हवा रहित और जलती हुई पत्थर की गेंद जैसा

इस ग्रह का तारा बृहस्पति के आकार का है, जो सात अरब साल पुराना है। इससे तेज रोशनी निकलती रहती है, जिसके कारण यह शुक्र ग्रह जितना गर्म हो गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसी वजह से स्पेक्यूलोस-3 पर जो भी वातावरण रहा होगा, वह बहुत समय पहले ही अंतरिक्ष में उड़ गया होगा और अब यह ग्रह हवा रहित, जलती हुई पत्थर की गेंद जैसा हो गया है।

चट्टानी ग्रहों के निर्माण का करेेंगे अध्ययन

बेल्जियम में लीज यूनिवर्सिटी के एक खगोलशास्त्री और अध्ययन के मुख्य लेखक माइकल गिलोन ने बताया कि स्पेक्यूलोस-3 पर वायुमंडल हो या ना हो, लेकिन यहां जीवन नहीं हो सकता है, क्योंकि यहां पानी नहीं रह सकता, जो कि जीवन के लिए बहुत जरूरी है। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी से करीब होने के कारण इसकी रासायनिक बनावट का अध्ययन कर यह पता लगाया जा सकता है कि क्या इस ग्रह पर कभी ज्वालामुखी फटे थे या नहीं। इससे ये भी पता चल सकता है कि कैसे इस तरह के चट्टानी ग्रह छोटे तारों के आसपास बनते हैं और क्या इनमें से कुछ ग्रह पर कभी जीवन भी रहा होगा।

नहीं नजर आए तारामंडल में और तारे

शोधकर्ताओं को स्पेक्यूलोस-3 जिस तारा मंडल में मिला, उसी में उसके जैसे अन्य ग्रहों की खोज की, लेकिन वह विफल रहे। उन्होंने कहा कि हो सकता है ऐसे और ग्रह वहां मौजूद हों, लेकिन वे इतने छोटे है या फिर अपने तारे से इतने दूर हैं कि उन्हें देखे नहीं जा सकता।

कैसे की स्पेक्यूलोस-3 की खोज

शोधकर्ताओं ने चिली, कैनरी द्वीप समूह और मेक्सिको में छह दूरबीनों के नेटवर्क का उपयोग कर स्पेक्यूलोस-3 की खोज की थी। इसका मुख्य लक्ष्य उन छोटे और चट्टानी ग्रहों को ढूंढऩा था, जो सूरज से काफी कम रोशनी वाले तारों के आसपास घूमते हैं। यह तारे सूरज से हजारों डिग्री कम गर्म और सैकड़ों गुना कम रोशन होते हैं। ये तारे अपना ईंधन बहुत धीरे-धीरे जलाते हैं, इसलिए इनकी उम्र लगभग 100 अरब साल तक होती है। ऐसा माना जाता है कि यह तारे ब्रह्मांड में सबसे आखिर तक चमकने वाले तारे होंगे।

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