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ब्रिटिश संसद में अवैध शरणार्थी से जुड़े रवांडा बिल पर मंगलवार को पहला मतदान होने जा रहा है। यह मतदान सुनक के लिए निजी रूप से भी परीक्षा की घड़ी बन गया है। ब्रिटिश मीडिया में इसे सुनक के राजनीतिक जीवन का सबसे मुश्किल दौर बताया जा रहा है। दरअसल, इस मुद्दे पर खुद सुनक की पार्टी भी बंटी नजर आ रही है। कुछ सांसदों का कहना है कि यह कानून प्रवासियों के प्रति बेहद कठोर है तो कुछ अन्य ने इसको बेहद कमजोर बताया है। सुनक ने दावा किया है कि ये अवैध प्रवासियों को लेकर अब तक का सबसे कठोर कानून होगा। प्रस्तावित 'रवांडा ट्रीटी एंड द सेफ्टी ऑफ रवांडा (असाइलम एंड इमीग्रेशन) कानून' के तहत अवैध अप्रवासियों को लेकर कानूनी चुनौतियों को समाप्त कर न्यायधीशों की शक्तियों को कमजोर कर दिया गया है जबकि अधिकांश शक्तियां संसद को दे दी गई हैं। पूर्व गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन और इसी बिल के मुद्दे पर आव्रजन मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके रॉबर्ट जेनरिक दोनों ने कहा है कि सुनक की योजना काम नहीं करेगी।
जेनरिक ने एक अखबार में लिखे एक लेख में दावा किया है कि बिल अपने मौजूदा स्वरूप में अभी भी प्रवासियों को रवांडा में अपने निष्कासन को चुनौती देने की अनुमति देगा, और यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय के दायरे में अब भी अपील की जा सकेगी। जेनरिक का कहना है कि ब्रिटेन को जटिल अंतरराष्ट्रीय ढांचे और पुरानी संधियों से बाहर निकलना होगा।
अवैध प्रवासी रोकना है सुनक का मुख्य वादा
प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और उनकी कंजरवेटिव पार्टी के नेता छोटी नावों से इंग्लिश चैनल के जरिए आने वाले अवैध प्रवासियों को रोकने का वायदा करते रहे हैं। लेकिन इसमें उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। ब्रिटेन की कमजोर अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष कर रहे सुनक के लिए उनकी प्रवासी नीति साख का सवाल बन गई है। जनमत सर्वेक्षणों में लेबर पार्टी से काफी पीछे चल रहे सुनक को अपनी रवांडा नीति से काफी उम्मीदें हैं। इसके चलते सुनक सरकार के लिए ये निर्णायक मुद्दा बन गई है। कोई हैरानी नहीं कि पूर्व आव्रजन मंत्री जेनरिक ने चेतावनी दी है कि कि जब तक कंजर्वेटिव ब्रिटेन में अवैध प्रवासियों की समस्या से निपटने के लिए और अधिक प्रयास नहीं करेंगे, उन्हें 'मतदाताओं के तीव्र रोष' का सामना करना पड़ेगा।
क्या है सुनक की रवांडा नीति
अप्रैल 2022 में ब्रिटेन में रवांडा नीति घोषित की गई थी। इसके तहत अवैध मार्गों से ब्रिटेन पहुंचने शरणार्थियों को गिरफ्तार कर रवांडा भेज दिया जाएगा। जहां उनके शरणार्थी होने का दावा सफल या असफल होने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। 15 नवंबर 2023 को ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से पाया कि शरण चाहने वालों को रवांडा भेजने की सरकार की नीति गैरकानूनी है। गौर करने की बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने शरण चाहने वालों को किसी तीसरे देश में भेजने की नीति को गैरकानूनी नहीं पाया। बल्कि यह कहा कि रवांडा वर्तमान में ऐसा करने के लिए एक सुरक्षित देश नहीं है। कानूनन शरणार्थियों को केवल 'सुरक्षित' देश में ही भेजा जाना चाहिए, जिससे उन्हें फिर शरण के लिए नहीं भटकना पड़े।
अदालती फैसले के बाद लाया गया कानून
फैसले के बाद, सुनक सरकार ने रवांडा के साथ एक संधि करने की घोषणा की। 5 दिसंबर 2023 को गृह सचिव जेम्स क्लेवरली ने रवांडा के साथ संधि पर हस्ताक्षर किए। 6 दिसंबर को, सरकार ने रवांडा सुरक्षा (शरण और आप्रवासन) विधेयक पेश किया।
इसके पहले दोनों देशों ने सिर्फ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि में कुछ गारंटी और सुरक्षा शामिल हैं जो रवांडा के साथ मूल समझौता ज्ञापन में नहीं थे। कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि के विपरीत एमओयू एक राजनीतिक समझौता था। संधि में प्रावधान है कि रवांडा द्वारा स्थानांतरित व्यक्तियों को ब्रिटेन के अलावा किसी भी देश में नहीं भेजा जा सकता।
ब्रिटेन के कदम की वैधता को जांचेंगेः रवांडा
रवांडा के विदेश मंत्री विंसेंट बिरुता ने कहा है कि, रवांडा और ब्रिटेन दोनों के लिए यह हमेशा महत्वपूर्ण रहा है कि हमारी कानूनी साझेदारी अंतरराष्ट्रीय कानून के उच्चतम मानकों को पूरा करती है। उन्होंने कहा, ब्रिटेन के वैध व्यवहार के बिना रवांडा समझौते को जारी नहीं रख पाएगा।
Published on:
11 Dec 2023 11:48 pm
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