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बर्लिन की दीवार गिरने के तीन दशक बाद भी खड़ी है असमानता की ‘दीवार’

– दीवार गिरने की 30वीं वर्षगांठ के बाद भी पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी (east and west germany) बीच आर्थिक असमानता साफ नजर आती है। पूर्वी जर्मनी की अर्थव्यवस्था अभी भी पिछड़ी हुई है। राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक विभाजन आज भी वैसा ही है।

Nov 17, 2019 / 09:21 pm

pushpesh

बर्लिन की दीवार गिरने के तीन दशक बाद भी खड़ी है असमानता की ‘दीवार’

बर्लिन की दीवार गिरने के तीन दशक बाद भी खड़ी है असमानता की ‘दीवार’

जयपुर. बर्लिन की दीवार गिरे 30 वर्ष हो गए हैं। पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी भले ही एक हो गए, लेकिन फासले अब भी मिटे नहीं। असमानता की खाई बनी हुई है। शिक्षा, रोजगार, उद्योग के साथ ही सामाजिक ढांचे में भी विभाजन की मोटी रेखा खिंची हुई है। दीवार गिरने की 30वीं वर्षगांठ के बाद भी पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी बीच आर्थिक असमानता साफ नजर आती है। पूर्वी जर्मनी की अर्थव्यवस्था अभी भी पिछड़ी हुई है। राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक विभाजन आज भी वैसा ही है।
सितंबर में जारी एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार महज 38 फीसदी पूर्वी जर्मन मानते हैं कि पुनर्मिलन सफल रहा है। जबकि 40 वर्ष से कम उम्र के महज 18 फीसदी ही इसे सफल मानते हैं, जिनका बचपन पूर्वी जर्मनी में बीता। वेबर और उनका दोस्त उसी समूह में आते हैं। वे दोनों जहां भी जाते हैं, उन्हें हर जगह हिकारत और उपेक्षा भाव से देखा जाता है। वेबर का कहना है कि राजनीतिक दलों ने 30 वर्ष में कुछ भी नहीं किया। 9 नवंबर 1989 की शाम को पूर्वी जर्मन सरकार ने घोषणा की कि अब वे पश्चिम जर्मनी में जाने के लिए स्वतंत्र होंगे। पूर्वी जर्मनों ने बर्लिन की दीवार पर चढ़ाई शुरू की, जिसका पश्चिम जर्मनी के लोगों ने स्वागत किया। लेकिन यह पूर्वी जर्मनी में कई लोगों के लिए दर्दनाक पुनरावृत्ति की शुरुआत भी थी, जो आज भी शूल की तरह उनके मन में है।
ऐसे बढ़ती गई असमानता की खाई
एकीकरण के बाद निजीकरण के दौरान पूर्व में कारखाने बंद हो गए, जिन्हें पश्चिम के लोगों ने खरीद लिया। पूर्व की योग्यताएं अमान्य हो गई। एकीकरण के दो वर्ष बाद पूर्वी हिस्से में औद्योगिक उत्पादन में तीन चौथाई से अधिक गिरावट आ गई और 30 लाख से अधिक लोग बेरोजगार हो गए। इस निराशा में काफी लोग पलायन कर गए। तीन दशक बाद तस्वीर कुछ बदली है। ऊर्जा उद्योग ने पूर्व और पश्चिम की अर्थव्यवस्था को सुधारा है। लेकिन असमानताएं अब भी बनी हैं। पूर्व में उन लोगों का वेतन और खर्च 85 फीसदी तक बढ़ गया, जो पहले पश्चिम में थे। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल पूर्व की होने के बावजूद शिक्षा, व्यापार और राजनीति में पश्चिम अग्रणी है। बेरोजगारी दर में भी अंतर है, यह पूर्व में 6.9 है तो पश्चिम में 4.8 फीसदी है। शरणार्थियों को शरण देने के मामले में भी भेदभाव नजर आया। पश्चिम की बजाय पूर्व में एक लाख से अधिक शरणार्थियों को शरण देने के मुद्दे पर भी एंजेला घिरीं। विरोधी ग्रीन्स पार्टी को चुनाव में इसका फायदा भी हुआ।
इसलिए बनी थी दीवार
पूर्वी जर्मनी में शिक्षा मुफ्त थी, जबकि पश्चिमी जर्मनी में रोजगार के हालात अच्छे थे। इस कारण जर्मन विद्यार्थी शिक्षा के लिए पूर्वी हिस्से में जाते और नौकरी के लिए पश्चिमी जर्मनी लौट आते थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जब जर्मनी का विभाजन हो गया, तो सैकड़ों कारीगर, प्रोफेसर, डॉक्टर, इंजीनियर और व्यवसायी प्रतिदिन पूर्वी बर्लिन को छोडकऱ पश्चिमी बर्लिन जाने लगे। बर्लिन दीवार का मुख्य मकसद पूर्वी जर्मनी से भाग कर पश्चिमी जर्मनी जाने वाले लोगों को रोकना था।
दीवार से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
-बर्लिन की दीवार की देखरेख के लिए 302 ऑब्जर्वेशन टावर, 259 डॉग रन और 20 बंकर थे।
-13 अगस्त 1961 को बर्लिन दीवार का निर्माण शुरू हुआ। 9 नवंबर 1989 को 155 किलोमीटर लंबी दीवार को गिराने की शुरुआत हुई। हालांकि 13 जून 1990 के बाद इसके ज्यादातर हिस्से को गिराया गया। 3 अक्टूबर 1990 को जर्मनी फिर से एक देश बन गया।
-कुछ जर्मन नागरिकों ने दीवार के टुकड़े ऑनलाइन बेच दिए। इन्हें ‘दीवार कठफोड़वा’ कहा गया।
-136लोगों की जान गई दीवार लांघने की कोशिश में। पांच हजार लोग पूर्व से पश्चिम जर्मनी जाने में सफल रहे।

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