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दुनिया की एक तिहाई आबादी झेलती गर्मी, इस समय भी यूरोप में लोगों के छूट रहे हैं पसीने

locationजयपुरPublished: Jul 09, 2019 03:26:26 pm

Submitted by:

Hemant Pandey

फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्विट्जरलैंड समेत पूरे यूरोप में दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी पिछले एक माह से भीषण गर्मी से बेहाल है।

फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्विट्जरलैंड समेत पूरे यूरोप में दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी पिछले एक माह से भीषण गर्मी से बेहाल है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से भविष्य में समस्या और विकराल हो सकती है। यूरोप में पारा 45.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।
हाल ही नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि जब तापमान 98.6 फारेनहाइट (37 सेल्सियस) से अधिक होता है तो स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बढ़ती है। 1995 में शिकागो हीट वेब से 37 सेल्सियस से अधिक तापमान से एक सप्ताह में 700 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि रूस में 2010 में जुलाई-अगस्त माह में 10,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। वर्ष 2003 में गर्मी से यूरोप में करीब 15 हजार की मौत हुई। विशेषज्ञों की मानें तो गर्मी से बचने के दो तरीके हैं घरों में एयर कंडीशनर लगाएं या जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करें। आधुनिक जीवनशैली से यह समस्या बढ़ रही है। आने वाले दिनों में एयर कंडीशनर के अधिक इस्तेमाल से बिजली की खपत बढऩे से जलवायु परिवर्तन पर और बुरा असर पड़ेगा, लोग एयर कंडीशनर चलाकर घर में कैद हो जाएंगे।
सेहत भी है समस्या
अमरीका के 90% घर एयर कंडीशंड हैं जबकि यूरोप में 5त्न है। यूरोप में लोग क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभाव को जानते हैं इसलिए एयर कंडीशनर को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं। साथ ही, उन्हें अपनी सेहत की भी चिंता है। यूरोप में डॉक्टर्स और बीमा कंपनियां भी लोगों को एसी से होने वाले नुकसान को लेकर आगाह करती रहती हैं। उनका कहना है कि एयर कंडीशनर से सर्दी-जुकाम, हड्डियों के साथ एलर्जी, सिरदर्द और स्लीप डिसऑर्डर जैसी समस्याएं बढ़ती हैं।
तेजी से बढ़ रही एसी की मांग
यूरोप में भी लोग रिकॉर्ड संख्या में एयरकंडीशनर इंस्टॉल करवा रहे हैं। यदि बात करें इंडोनेशिया, चीन और भारत की तो यहां करीब 10त्न बिजली की खपत एयरकंडीशनर पर होती है। इसकी तुलना में यूरोप में बिजली खपत बहुत कम है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आइईए) का अनुमान है कि अगले 30 वर्षों में एसी पर बिजली की खपत तीन गुना बढ़ जाएगी। एसी से निकलने वाले कार्बन से भी ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा बढ़ेगा। बिजली उत्पादन के लिए विकासशील देशों में कोयले की खपत बढ़ेगी। जलवायु परिवर्तन पर असर पड़ेगा।
यूरोप में गर्मी से बचने के प्रयास
-फ्रांस में बुजुर्गों के शरीर पर हाइड्रेशन सेंसर लगाया जा रहा है ताकि शरीर में पानी की कमी हो तो अलार्म बज जाए।
-पेरिस में चार हजार से अधिक स्कूलों में छट्टियां कर दी हैं। दूसरे शहरों में भी यही स्थिति है।
– इटली के 16 शहरों में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
– फ्रांस में पर्यटकों और शरणार्थियों के लिए स्ट्रीट शॉवर की व्यवस्था की जा रही है।
– प्याऊ की व्यवस्था की गई है। पर्यटन स्थलों पर पानी की बोतलें बांटी जा रही हैं।
-रोम के चिडिय़ाघरों में जानवरों को खाने को ठंडी चीजें दी जा रही हैं।
-पेरिस की सडक़ों पर 60% वाहनों के चलने पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि गर्मी कम हो।
– जर्मनी में कोल्ड होम खोज रहे हैं, ताकि ठंडक में थोड़ी देर बैठ सकें।
– कुछ रेस्ट्रोरेंट में तो ऑनलाइन खाना ऑर्डर करने वालों को मना किया जा रहा है।
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