हसन अल कोंतर की कहानी पूरी फिल्म कहानी है। हसन की स्टोरी हॉलीवुड फिल्म ‘द टर्मिनल’ से बिल्कुल मिलती जुलती है। वर्ष 2004 में आई फिल्म ‘द टर्मिनल’ एक अमरीकन कॉमेडी-ड्रामा फिल्म थी जिसे मशहूर निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग ने निर्देशित किया था। इस फिल्म में मुख्य अभिनेता टॉम हंक्स थे। यह फिल्म भी एक वास्तविक घटना पर आधारित थी। फिल्म में मुख्य किरदार विक्टर नवोरोस्की का वीजा समाप्त हो जाता था। इस बीच गृहयुद्ध भी आरंभ हो जाता है। ऐसी परिस्थिति बन जाती हैं कि विक्टर को अमरीका के एयरपोर्ट पर महीने गुजारने पड़ जाते हैं। फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले टॉम हंक्स को भी हसन अल कोंतर अपने बारे में सोशल मीडिया पर बता चुके हैं। जिससे उनके हालात दुनियाभर के लोगों तक पहुंच सकें। हालांकि उनकी इस फिल्मी कहानी को कई लोगों ने दुनिया के सामने लाकर भी रखा है लेकिन अभी सफलता नहीं मिली है।
सीरिया में जब गृहयुद्ध शुरू हुआ था तो हसन अल कोंतर यूएई चले गए। 2012 में सीरिया सरकार से उन्होंने अपने पासपोर्ट को रिन्यू कराने के लिए संपर्क किया लेकिन उन्हें सरकार ने मना दिया क्योंकि हसन अल कोंतर ने सैन्य सेवा पूरी नहीं की थी। 2017 में यूएई से भी उन्हें निकाल दिया गया। उसके बाद हसन ने मलेशिया से संपर्क साधा। पहले मलेशियाई सरकार के अधिकारियों ने सीरियाई शरणार्थी के रूप में रहने के लिए उन्हें वीजा देने पर चर्चा की, मगर बाद में कार्य करने के पूरे अधिकार को नकार दिया। हसन इक्वेडोर और कंबोडिया के देश भी गए मगर वहां पर सफलता नहीं मिली। उनका जिंदगी अब दुश्वार हो गई है। अपने जीवन की कहानी हर रोज हसन सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए बताते हैं, और लोगों से इस मुसीबत में निकालने की मदद की गुहार लगाते हैं। अराइवल एरिया ही अब हसन का घर बन चुका है। वह वहां सीढ़ियों के नीचे सोते हैं। दान दिए गए एयरलाइन भोजन खाकर अपना गुजारा कर रहे हैं।