scriptअब मवेशी भी इंसानों की तरह चखेंगे सलाद का स्वाद, नीदरलैंड्स मॉडल पर राज्य में होगा उत्पादन | CAZRI produced fodder beet for cattle | Patrika News
जोधपुर

अब मवेशी भी इंसानों की तरह चखेंगे सलाद का स्वाद, नीदरलैंड्स मॉडल पर राज्य में होगा उत्पादन

काजरी ने चारे की कमी को देखते हुए मवेशियों के लिए नई फसल उगाई है। अब राजस्थान में खट्टे मीठे चारे का उत्पादन होगा।

जोधपुरMar 09, 2017 / 01:14 pm

Nidhi Mishra

fodder beet

fodder beet

अब मवेशी भी इंसानों की तरह सलाद का स्वाद चखेंगे। पश्चिमी राजस्थान में फरवरी से जून तक गर्मियों के दिनों में हरे चारे की कमी हो जाती है। केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) ने इस समस्या का तोड़ निकालते हुए नई फसल चारा चुकन्दर (फोडर बीट) तैयार की है। यह प्रति हैक्टेयर 80 टन चारे का उत्पादन करेगी। ‘चारा चुकन्दर’ अत्यधिक उपज देने वाली जमीकन्दीय फसल है। अन्य चारा फसलों की तुलना में यह कम क्षेत्रफल व कम समय में अधिक उत्पादन देती है। 
READ MORE- राजस्थान बजट फॉर जोधपुर: शिक्षा के क्षेत्र में शहर को मिला आईटीआई और उद्यमिता प्रशिक्षण केंद्र


काजरी के पशु चिकित्सक डॉ. सुभाष कछवाहा ने बताया कि इसका पौधा सलाद के काम आने वाले चुकन्दर जैसा ही होता है। लेकिन आकार में बड़ा होता है और इसमें शर्करा की मात्रा कम होती है। विश्व के जिन देशों में व्यावसायिक स्तर पर पशुपालन किया जाता है वहां यह फसल बहुत लोकप्रिय है। नीदरलैंड्स में डेयरी एनिमल्स को यही चारा खिलाया जाता है। फ्रांस, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, बेलारूस आदि देशों में चारे के लिए बहुतायत से उगाई जाती है। उसी तर्ज काजरी ने जोधपुर, पाली, गोटन और मध्यप्रदेश के नीमच में इसका सफल शोध किया है।
READ MORE- राजस्थान बजट 2017: जोधपुर पर आखिर बरस ही गई मेहर, सौगातों से भर दी गई झोली

चारे में मिलेंगे प्रोटीन और विटामिन

इसमें कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, खनिज तत्व एवं विटामिन जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में है। इसकी बुवाई नवम्बर में की जाती है व इसके कन्द फरवरी के अन्त से खिलने को तैयार हो जाते हैं। इसकी उपलब्धता जून तक बनी रहती है। इसमें कम पानी की जरूरत होती है और खारे पानी में भी इसकी अच्छी उपज ली जा सकती है। खेत में चारा चुकन्दर के कन्द का औसत वजन 4 किलो है। इस चुकन्दर चारे का स्वाद खट्टा और मीठा होता है।
पशुपालन व्यवसाय में होगा मुनाफा

काजरी निदेशक डॉ. ओपी यादव ने खेत में लगी फसल को देखकर इस बारे में किसानों एवं वैज्ञानिकों से बातचीत की है। उनका कहना है कि किसान अगर चारा चुकन्दर फसल की तकनीकी अपनाएं तो पशुओं के लिए गर्मियों में हरे चारे की कमी नहीं रहेगी। इससे पशु तंदुरूस्त रहेंगे। पशुपालन व्यवसाय में पहले से ज्यादा मुनाफा बढेगा। काजरी में इस नई फसल को देखने आ रहे पशुपालक व किसान अपने खेत में इसका उत्पादन करने के लिए काजरी के वैज्ञानिकों से जुडऩा चाहते हैं।
READ MORE- राजस्थान बजट 2017: जोधपुर में उद्योगपतियों की बजट पर चर्चा, इंडस्ट्री के लिए अब तक कोई बड़ी घोषणा नहीं


मवेशियों को 10-15 किलो प्रतिदिन खिलाएं

काजरी में इस पर अनुसंधान व परीक्षण हो रहा है, किसानों के खेतों पर भी प्रर्दशन किए जा रहे हैं। गाय, भैंस, घोड़ा जैसे बड़े पशुओं को 10 से 15 किलो प्रति दिन के हिसाब से हरा चारा खिलाया जा सकता है। -एसपीएस तंवर, प्रधान वैज्ञानिक, काजरी।

Home / Jodhpur / अब मवेशी भी इंसानों की तरह चखेंगे सलाद का स्वाद, नीदरलैंड्स मॉडल पर राज्य में होगा उत्पादन

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो