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Food Safety: भूख से बिलख रहा दुनिया का हर चौथा बच्चा, भारत भी लिस्ट में शामिल, पढ़िए पूरी रिपोर्ट 

वैश्विक स्तर पर, गंभीर बाल खाद्य गरीबी में रहने वाले बच्चों का प्रतिशत सबसे गरीब घरों में 35 प्रतिशत दर्ज किया गया है। गौर करने की बात यह है कि, यूनिसेफ (UNICEF) का दावा है कि सबसे अमीर घरों में भी 23 प्रतिशत बच्चे गंभीर बाल खाद्य गरीबी के शिकार हैं।

नई दिल्लीJun 07, 2024 / 10:37 am

Jyoti Sharma

UNICEF report, every fourth child in the world is a victim of hunger

UNICEF report, every fourth child in the world is a victim of hunger

Food Safety: दुनिया भर में 5 साल से कम उम्र के लगभग 18.1 करोड़ बच्चे गंभीर खाद्य गरीबी (Food poverty) का सामना कर रहे हैं, यूनिसेफ (UNICEF) की ताजा रिपोर्ट में ये खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के करीब 27 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जिन्हें जरूरी पोषक आहार (Nutritious Food) नहीं मिल रहा है। जिसका मतलब है कि दुनिया के हर चौथे बच्चे के सामने भोजन की कमी या कुपोषण (Malnutrition) के चलते उनकी शारीरिक-मानसिक ग्रोथ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, गंभीर बाल खाद्य गरीबी से मतलब उन बच्चों से है जो अत्यधिक वंचित या पोषण रहित आहार पर जीवित रहते हैं और वे केवल दो या उससे कम पोषक खाद्य श्रेणी (Hunger) का ही भोजन कर पाते हैं। रिपोर्ट से पता चला है कि भारत उन 20 देशों में शामिल है, जहां 2018-2022 के बीच बचपन के शुरुआती दिनों में भोजन से संबंधित गंभीर गरीबी में रहने वाले कुल बच्चों की संख्या का 65 प्रतिशत निवास करती है।

अमीर घरों में भी 23 फीसदी बच्चे गंभीर खाद्य गरीबी का शिकार

वैश्विक स्तर पर, गंभीर बाल खाद्य गरीबी (Food Safety) में रहने वाले बच्चों का प्रतिशत सबसे गरीब घरों में 35 प्रतिशत दर्ज किया गया है। गौर करने की बात यह है कि, यूनिसेफ (UNICEF) का दावा है कि सबसे अमीर घरों में भी 23 प्रतिशत बच्चे गंभीर बाल खाद्य गरीबी के शिकार हैं।

बच्चों में UNICEF के कुपोषित खाने के मानदंड

यूनिसेफ की सिफारिश है कि छोटे बच्चों को प्रतिदिन 8 मुख्य खाद्य समूहों में से कम से कम 5 खाद्य समूह के पदार्थ रोजाना खाना चाहिए। यह श्रेणियां इस प्रकार हैं। इससे कम श्रेणी का अहार रोजाना बच्चों के भोजन में होने पर वह बच्चा कुपोषित श्रेणी में आ जाता है।
1. मां का दूध

2. अनाज, जड़ें (गाजर, चुकंदर, आलू, लहसुन), कंद और केले

3. दालें, मेवे और बीज

4. डेयरी उत्पाद

5. मांस, मुर्गी और मछली

6 अंडे
7. विटामिन ए युक्त फल और सब्जियां

8. अन्य फल और सब्जियां

दक्षिण एशियाई देशों में बाल खाद्य गरीबी (फीसदी में)

देश                          भीषण खाद्य गरीबी             मध्यम खाद्य गरीबी

अफगानिस्तान 49 37
भारत 40 36

पाकिस्तान 38 47

बांग्लादेश 20 46

नेपाल 8 44

मालदीव 6 23

श्रीलंका 5 17

दक्षिण एशिया 38 39

44 करोड़ बच्चे रह रहे खाद्य गरीबी में

यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 100 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहने वाले पांच वर्ष से कम आयु के करीब 44 करोड़ बच्चे खाद्य गरीबी में रह रहे हैं, जिसका अर्थ है कि (Food Safety) उन्हें प्रतिदिन पांच खाद्य समूहों का खाना नहीं मिल रहा है। वहीं, इनमें से 18.1 करोड़ बच्चे गंभीर खाद्य गरीबी का सामना कर रहे हैं, तथा अधिकतम दो खाद्य समूहों का ही भोजन रोजाना ले पा रहे हैं।

गंभीर खतरे में 50 फीसदी बच्चे

यूनिसेफ प्रमुख कैथल रसेल ने कहा है कि बच्चे प्रतिदिन केवल दो खाद्य समूहों का सेवन करते हैं, जैसै चावल और थोड़ा दूध, उनमें कुपोषण के गंभीर रूपों का अनुभव होने की संभावना 50 प्रतिशत तक अधिक होती है। मानव शरीर की सभी महत्वपूर्ण प्रणालियां, जो विकास के लिए और रोगों से सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, ये सभी विटामिन, खनिज और प्रोटीन पर निर्भर करती हैं।

दुष्चक्रः कुपोषण का यह होता है असर

रसेल का कहना है कि 5 साल से छोटे बच्चों को उचित भोजन नहीं मिलने से कुपोषण जनित दुर्बलता हो सकती है, जो असामान्य रूप से दुबलापन की घातक स्थिति है। यदि ये बच्चे जीवित भी रहते हैं और बड़े हो जाते हैं, तो भी वे निश्चित रूप से आगे नहीं बढ़ पाते। इसलिए वह स्कूल में कम अच्छा प्रदर्शन करते हैं। और जब वे वयस्क हो जाते हैं, तो उनके लिए समुचित आय अर्जित करना कठिन हो जाता है, और इससे गरीबी का चक्र एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलता रहता है।

पहली बार कुपोषण का विश्लेषण

पहली बार बाल खाद्य गरीबी का बच्चों पर क्या असर होता है इसका विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में विभिन्न आय समूहों में सबसे कम उम्र के लोगों में आहार के अभाव के प्रभावों और कारणों का विश्लेषण है।

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