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Fall in Love: क्यों प्यार में पड़ जाते हैं हम, करीब आने पर शरीर में क्यों होने लगता है बदलाव?

Why we fall in love: फेसर डोलेन का कहना है कि रोमांटिक प्रेम मस्तिष्क के हाइपोथैलेमास में मैग्नोसेलुलर या बड़े न्यूरॉन्स से आता है, जबकि प्यार के बाकी प्रकारों में रसायन मस्तिष्क के परवोसेलुलर या छोटे न्यूरॉन्स से आता है।

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Why we fall in love: प्यार एक खूबसूरत अहसास है। शायर की शायरी, लेखक की कल्पना या गीत-गजल में प्यार के ढेरों अफसाने हैं। कहते हैं प्यार दिल से होता है, लेकिन दिमाग इसकी असरदार प्रतिक्रिया देता है। यह विज्ञान ने माना है। रिसर्च में सामने आया है कि प्यार होने के साथ ही दिमाग में प्रतिक्रियाएं शुरू हो जाती हैं, जिससे हमारे मस्तिष्क में रसायनों का रिसाव शुरू हो जाता है। बाल्टीमोर में जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर गुल डोलेन ने प्यार की वजह से दिमाग पर होने वाले असर पर रिसर्च की है। प्रोफेसर गुल डोलेन के मुताबिक, प्यार होने के बाद हमारे दिमाग का जो हिस्सा सक्रिय होता है, उसका नाम हाइपोथैलेमस है। यह बादाम के आकार का होता है। यह मस्तिष्क के भीतर गहरे मल्टी फंक्शनल क्षेत्र से हार्मोन ऑक्सीटोसिन जारी करता है। प्रोफेसर डोलेन इसे "प्रेम रसायन" कहते हैं।

रसायन एक जैसा, उत्पत्ति अलग

रिसर्च के मुताबिक प्यार के विविध रूप हैं। जैसे रोमांस, माता-पिता का प्यार, दोस्त के बीच स्नेह..। इन सभी भावनाओं में कुछ हद तक एक ही मस्तिष्क रसायन शामिल हैं, लेकिन ये सभी एक ही न्यूरॉन्स या मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं से उत्पन्न नहीं होते है। प्रोफेसर डोलेन और उनकी टीम का कहना है कि रोमांटिक प्रेम मस्तिष्क के हाइपोथैलेमास में मैग्नोसेलुलर या बड़े न्यूरॉन्स से आता है, जबकि प्यार के बाकी प्रकारों में रसायन मस्तिष्क के परवोसेलुलर या छोटे न्यूरॉन्स से आता है।

प्यार में निकलते हैं ऑक्सीटोसिन

प्यार में पडऩे से मैग्नोसेलुलर न्यूरॉन्स में ऑक्सीटोसिन के 60,000 से 85,000 अणु रिलीज होते हैं। जबकि भावनात्मक प्यार के दौरान 7,000 से 10,000 अणु निकलते हैं। एक बार ये रसायन जारी होने के बाद अलग तरह से काम करते हैं। जब ऑक्सीटोसिन मैग्नोसेलुलर न्यूरॉन्स (रोमांटिक लव ऑक्सीटोसिन कोशिकाओं) को छोड़ देता है। इस दौरान शरीर के अंदर कई तरह की दूसरी प्रतिक्रियाएं भी होती हैं, जैसे शरीर का तनाव खत्म हो जाता है और लगाव के साथ साथ उत्साह की भावनाएं प्रबल हो जाती हैं। यही कारण है कि कई बार आपको ध्यान नहीं रहता आप कहां बैठे हैं या जा रहे हैं।