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क्यों सुलग रहा है लैटिन अमरीका

-भ्रष्टाचार (corruption) और तंगहाली से जूझ रहे देशों में राजनीतिक उथल-पुथल -बड़े पैमाने पर प्रवासी और आर्थिक मुश्किलों (Financial difficulties) से जूझ रहे लैटिन अमरीका ( Latin America) में ये हालात पहले नहीं थे-हैती, होंडूरास, इक्वाडोर, चिली, वेनेजुएला जैसे देशों में असंतोष चरम पर (haiti, Honduras, ecuador, chili, venezuela)

Oct 22, 2019 / 03:58 pm

pushpesh

क्यों सुलग रहा है लैटिन अमरीका

क्यों सुलग रहा है लैटिन अमरीका

जयपुर.

लैटिन अमरीकी देश इन दिनों गंभीर आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं। पेरू में पिछले दिनों राष्ट्रपति ने कांग्रेस (संसद) को भंग कर दिया। होंडूरास के राष्ट्रपति पर अमरीका ड्रग माफिया से रिश्वत लेने के आरोप लगा रहा है। हैती में प्रदर्शनकारियों ने सरकार गिराने की चेतावनी दी है। इक्वाडोर में विरोध प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि प्रशासन को प्रदर्शनकारियों को राजधानी से बाहर खदेडऩा पड़ा। उधर चिली में मेट्रो किराया बढ़ाने पर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। बड़े पैमाने पर प्रवासी और आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहे लैटिन अमरीका में ये हालात पहले नहीं थे। वाशिंगटन स्थित इंटर अमरीकन डायलॉग के प्रमुख माइकल शिफ्टर का कहना है कि जिधर देखो अनिश्चतता और उथल पुथल है। भले ही सैन्य तानाशाहों और माक्र्सवादी विद्रोहियों के लिए चर्चित क्षेत्र में लोकतंत्र का एकीकरण हो रहा है… फिर ये असंतोष क्यों?
दरअसल, लैटिन अमरीका में अर्थव्यवस्था धीमी पड़ गई है। लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर हुई हैं। भ्रष्टाचार और व्यवस्था की खामी जनता को बर्दाश्त नहीं है और ध्रुवीकरण भी तेजी से बढ़ रहा है। ये सारी परिस्थितियां इक्वाडोर जैसे हालात पैदा कर रहे हैं, जहां राष्ट्रपति लेनिन मोरेनो के ईंधन सब्सिडी समाप्त करने के फैसले पर इतने प्रदर्शन हुए कि वह अपनी सरकार को क्यूटो से कैलमर शहर ले गए।
जनता भ्रष्टाचार और अनदेखी से त्रस्त
लैटिन अमरीकी नागरिक भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं। ब्राजील और ग्वाटेमाला में सरकारों को हटाने के लिए लोगों को सडक़ों पर उतरना पड़ा। सबसे गरीब देश हैती में ईंधन सब्सिडी समाप्त करने के सरकारी प्रयासों का जोरदार विरोध हो रहा है। सैकड़ों मील पश्चिम में होंडूरास के राष्ट्रपति जुआन ओरलैंडो भी भ्रष्टाचार के आरोपो में घिरे हैं। विपक्ष उनका स्तीफा मांग रहा है। कई देश ड्रग्स कारोबार से बदहाल हैं। कोलंबिया से लेकर मैक्सिको तक हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई है।
कई देशों की अर्थव्यवस्था में गिरावट
मैक्सिको के पूर्व विदेश मंत्री जॉर्ज कैस्टेनेडा का कहना है कि हम लैटिन अमरीका में हर जगह आर्थिक विकास में गंभीर गिरावट देख रहे हैं। इस सदी के पहले दशक में इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में असामान्य बदलाव देखने में आए। वर्ष 2004 से 2011 तक प्रति वर्ष चार फीसदी से अधिक की गति से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ी, लेकिन फिर गिरावट आने लगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार 2019 में 0.6 फीसदी ग्रोथ रेट रहने का अनुमान है। एक दशक पहले तेल की कीमतों के वैश्विक उछाल से इक्वाडोर के विकास में तेजी आई। लेकिन 2014 के बाद से तेल के दामों में गिरावट के बाद स्थिति कमजोर होने लगी। सरकारी खर्चों में कटौती के बाद लोग सडक़ों पर आ गए। इक्वाडोर और अर्जेंटीना अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की चुनौती का सामना कर रहे हैं। मोरेनो और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति मॉरीशियो मैक्री ने अपने-अपने देशों के कर्ज को कम करने के लिए खर्च को कम करने वाली नीतियां लागू कर दी। मोरेनो पर अब तक सबसे बड़ा खतरा मंडरा रहा है तो मैक्री पर इस माह होने वाले चुनाव हारने का खतरा है।
संस्थाओं की शक्ति हो रही कमजोर
राजनीतिक संस्थाएं, पार्टियां और न्यायपालिका कमजोर हो गई है। कई लैटिन अमरीकी देशों में स्वतंत्र नियामक और न्याय प्रणाली की कमजोरी के कारण भ्रष्टाचार पनप रहा है। पेरू के पिछले चार राष्ट्रपतियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। पेरू में मौजूदा राष्ट्रपति मार्टिन विजकेरा भ्रष्टाचार विरोधी शख्सियत के रूप में उभरे हैं, लेकिन उन्हें एक छोटी पार्टी का समर्थन है। राजनीतिक धु्रवीकरण पेरू और अन्य देशों में समस्याओं को बढ़ा रहा है।
फैक्ट फाइल
-3.7 से गिरकर 3.5 फीसदी हो गई है लैटिन अमरीकी देशों की जीडीपी पिछले वर्ष के मुकाबले।
-80.9 फीसदी है वेनेजुएला का राजकोषीय ऋण, जीडीपी के मुकाबले। लैटिन अमरीकी देशों में सबसे ज्यादा।
-9.6 फीसदी बढक़र लैटिन अमरीकी देशों से भारत का व्यापार 13.6 (2018-19) बिलियन डॉलर हो गया।

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