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Russia Election: रूस के राष्ट्रपति चुनाव से भारत को क्या फर्क पड़ेगा, क्या इंडिया के लिए जरूरी हैं पुतिन ?

रूस के चुनावों (Russia President Election) को लेकर जानकारों का कहना है कि इसकी संभावना ज्यादा नजर आ रही है कि व्लादिमिर पुतिन ही राष्ट्रपति चुने जा सकते हैं लेकिन यहां कुछ कारक ऐसे भी हैं जो पुतिन की कुर्सी को हिला रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए सवाल बड़ा है कि उसके लिए पुतिन ही ज्यादा फायदेमंद हैं या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को दूसरे समकक्ष की जरूरत है।

नई दिल्लीMar 17, 2024 / 11:35 am

Jyoti Sharma

Vladimir Putin And Narendra Modi

Vladimir Putin And Narendra Modi

रूस में राष्ट्रपति के चुनाव (Russia President Election) के लिए वोटिंग जारी है। व्लादिमिर पुतिन के फिर से राष्ट्रपति बनने के कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन यहां कई ऐसे नेता हैं जो पुतिन की कुर्सी को हिला रहे हैं। तो इन सबके बीच ये सवाल खड़ा हो जाता है कि भारत के लिए इस चुनाव में क्या खास है? क्योंकि भारत और रूस (India-Russia Realationship) के बीच घनिष्ठ संबंध हैं जो रक्षा सौदों से ज्यादा प्रगाढ़ हुए हैं। भारत के लिए रूस और रूस के लिए भारत कितना अहम है ये इसी से पता चल जाता है कि रूस पर कई प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने अमेरिका से बिना डरे उससे सबसे ज्यादा हथियार खरीदे हैं। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध में खुद तटस्थ रखकर भारत ने रूस के प्रति अपनी विश्वसनीयता भी बनाए रखी क्योंकि भारत ने किसी देश का पक्ष नहीं लिया उसने सिर्फ शांति और सौहार्द का पक्ष लिया।

रूस के लिए भारत और भारत के लिए रूस कितना अहम?

अब बात करते हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर के संबंधों के बारे में। भारत रूस को अपने दोस्त देशों में गिनता है। वो अमेरिका की तरह ही रूस को भी अपने विदेशी मामलों में प्राथमिकता देता है। मोदी और पुतिन की दोस्ती भी जगज़ाहिर है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) ने तो यहां तक कह दिया था कि मोदी ने भारत के हितों की रक्षा के लिए जैसा सख़्त रुख अपनाया है वो बिल्कुल जाहिर है। मोदी कभी किसी दबाव में नहीं आए। वो खुद कह चुके हैं कि भारत और रूस के रिश्ते मजबूत हो रहे हैं। पुतिन ने साल 2023 में रशिया कॉलिंग फ़ोरम में कहा था कि वो ये सोच भी नहीं सकते कि मोदी को डराया जा सकता है या उन्हें इस कदर मजबूर किया जाए कि वो कोई ऐसा कदम उठाएं जो भारत के हित में ना हो।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मंचों से पुतिन को अपना सबसे अच्छा दोस्त और अपना सबसे अच्छा साझीदार बता चुके हैं। भारत के सबसे ज्यादा रूस से हथियार खरीदने के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है।

मोदी-पुतिन के बीच ये खास कनेक्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और व्लादिमिर पुतिन के बीच एक खास कनेक्शन है जो उनकी राष्ट्राध्यक्ष बनने की कहानी से जुड़ा हुआ है। दरअसल साल 2000 में व्लादिमिर पुतिन रूस के राष्ट्रपति नियुक्त हुए थे जब बोरिस येल्तसिन ने अपने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। तब पुतिन की इस पद के लिए चुने गए थे। वहीं इसके ठीक एक साल बाद भारत में नरेंद्र मोदी गुजरात के पहली बार मुख्यमंत्री चुने गए थे। ये किस्सा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में अपनी पहली रूस यात्रा के दौरान मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के सामने सुनाया था।

भारत-रूस के सामरिक और व्यापारिक रिश्ते

1- रिपोर्ट के मुताबिक रूस भारत का सातवां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर यानी व्यापारिक भागीदार है।

2- भारत और रूस के बीत इस साल तक 45 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ है। खास बात ये है कि दोनों देशों ने इस ट्रेड का लक्ष्य 2025 रखा था औऱ वो 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
3- अब दोनों देशों ने अपने इस व्यापारिक रिश्ते को 2025 तक 50 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

रक्षा सौदा

इस साल आई SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 5 सालों में भारत ने सबसे ज्यादा रूस से खरीदे हैं जो कुल आयात का 36 प्रतिशत है। इसमें सबसे अहम सुखोई फाइटर जेट, S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम, ओसा, पचोरा जैसी कम दूरी की मारक प्रणाली वाली मिसाइल, मिग-29 जैसे लड़ाकू विमान शामिल हैं।

जानकार कहते हैं कि इतने लंबे समय से भारत और रूस के रिश्ते मजबूत हुए हैं तो कहीं ना कहीं इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की पक्की दोस्ती को जाता है। ऐसे में अगर पुतिन ये चुनाव जीतते हैं तो भारत के लिए ये फायदेमंद होगा वहीं अगर ये कोई दूसरा नेता रूस का राष्ट्रपति बनता है तो भारत और रूस के बीच के रिश्तों को एक नए सिरे से शुरू करने की संभावना है।

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