NASA को सौंपा गया सीएलटी तैयार करने का काम
चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण कम (Gravitational Force On Moon) होने के कारण वहां समय पृथ्वी की तुलना में 58.7 माइक्रोसेकंड तेज चलता है। इसलिए धरती और चांद का समय एक जैसा नहीं होता। वाइट हाउस ऑफिस साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी (OSTP) ने नासा (NASA) को 2026 के अंत तक कोऑर्डिनेटेड लूनर टाइम (CLT) के लिए एक रणनीति तैयार करने के लिए सरकारी विभागों के साथ सहयोग करने के लिए कहा है। LTC एक मानक समय होगा जो चांद पर जाने वाले उपग्रहों और यानों के लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड टाइम (International Standard Time) तय करेगा।
NASA के विशेषज्ञों के लिए चुनौेती भरा काम
पिछले साल, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा था कि चंद्रमा के लिए एक यूनिफाइड टाइम (Standard Time for Moon) बनाने की जरूरत है, जहां एक दिन पृथ्वी के 29.5 दिनों के बराबर होता है। एलटीसी को तय करने में कॉर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (यूटीसी) को आधार बनाया जा सकता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने पूरी दुनिया का मानक समय तय किया है। पृथ्वी की निचली कक्षा में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यूटीसी का उपयोग कर रहा है। हालांकि, नया अंतरिक्ष-समय कहां से शुरू होगा, इसका पता NASA को लगाना है।
क्यों इतना जरूरी है चांद का स्टैंडर्ड टाइम (Standard Time for Moon)
पिछले साल चंद्रयान-3 (Chandrayan-3) को चंद्रमा पर उतार चुके भारत सहित दर्जनों देश और निजी कंपनियां चांद पर पहुंचने की होड़ में शामिल हैं। नासा का लक्ष्य सितंबर 2025 में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा के चारों ओर भेजना और एक साल बाद लोगों को वहां उतारना है। इस प्रयास में दर्जनों कंपनियां, अंतरिक्ष यान और देश शामिल हैं। एलटीसी मानक के बिना अंतरिक्ष यान के बीच डेटा हस्तांतरण करना और पृथ्वी, चंद्र उपग्रहों व अंतरिक्ष यात्रियों के बीच संचार में तालमेल मुश्किल हो सकता है। समय में विसंगतियों के कारण मानचित्रण और चंद्रमा पर या उसकी कक्षा में स्थिति का पता लगाने में त्रुटियां हो सकती हैं।
चाहिए चंद्रमा की धड़कन
वाशिंगटन में यूएस नेवल ऑब्जरवेटरी में रखी परमाणु घड़ी के बारे में सोचिए। वह हमारी धड़कन है, जिसके हिसाब से सब कुछ चलता है। चंद्रमा के लिए भी हमें ऐसी ही धड़कन चाहिए।