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20 साल में पहली बार हो रही ये अनोखी खगोलीय घटना, सीधे आंखों से दिखा दिलकश नजा़रा, देखिए तस्वीरें

सौर तूफान (Solar Storm) का असर धरती पर भी पड़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया, जापान जैसे देशों में तो ब्लैक आउट हो गया और अब तो कई जगह GPS ने भी काम करना बंद कर दिया। हालांकि इस घटना ने धरती के लोगों को वो नजारे दिखा दिए जो दो दशकों में भी देखने को नहीं मिले।

नई दिल्लीMay 11, 2024 / 04:59 pm

Jyoti Sharma

Solar Storm Image

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इन दिनों धरती कई खगोलीय घटनाओं की चश्मदीद बन रही है। कुछ दिन पहले 4 से 6 मई को ‘एटा एक्वेरिड्स’ (Eta Aquarids) देखा गया। इसमें रात में आसमान तेज रोशनी से जगमगा गया था। अब लगभग 20 सालों में पहली बार ऐसी ही घटना फिर से देखने को मिली है। हालांकि ये खगोलीय घटना सौर तूफान (Solar Storm) से पनपी है। लेकिन इस तूफान का असर धरती पर भी पड़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया, जापान जैसे देशों में तो ब्लैक आउट हो गया और अब तो कई जगह GPS ने भी काम करना बंद कर दिया। हालांकि इस घटना ने धरती के लोगों को वो नजारे दिखा दिए जो दो दशकों में भी देखने को नहीं मिले। कई लोगों ने इसे अपने कैमरे में कैद किया है और अब ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं।
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20 साल में पहली बार धरती पर पृथ्वी पर आए सबसे शक्तिशाली सौर तूफान (Solar Storm) के बाद आसमान में देखी गई इस अद्भुत रोशनी ने हर किसी को हैरत में डाल दिया है।
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20 साल में पहली बार धरती पर पृथ्वी पर आए सबसे शक्तिशाली सौर तूफान (Solar Storm) के बाद आसमान में देखी गई इस अद्भुत रोशनी ने बीते शुक्रवार को दुनिया भर में हैरानी में डाल दिया।
वैज्ञानिकों ने इस घटना को ‘ऑरोरा बोरेलिस’ (Aurora Borealis) का नाम दिया है। ये घटना यूरोप के ज्यादातर हिस्सों में देखी गई है।
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इन शानदार खगोलीय घटना के लिए धरती पर आए अब तक से सबसे तेज भू-चुंबकीय तूफान को जिम्मेदार ठहराया गया था।

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खास बात ये है कि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में हुए इस बदलाव की वजह से होने वाली संभावित मुश्किलें के लिए एहतियाती कदम उठाने के लिए सैटेलाइट ऑपरेटर्स, एयरलाइंस और पावर ग्रिड को भी पहले ही सूचित किया गया था।
नासा (NASA) के मुताबिक सूर्य की गतिविधियां चरम पर पहुंच रही हैं। हर 11 साल में सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव स्थान बदलते हैं। इससे सूर्य के अंदर और उसके आसपास शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र बनने से सौर तूफान उठता है। इस दौरान सूर्य कई ज्वालाएं छोड़ता है, जो पृथ्वी और उसके मैग्नेटोस्फीयर समेत पूरे सौरमंडल को प्रभावित करती हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक सौर तूफान पृथ्वी पर प्रौद्योगिकी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। अभी ही बड़े पैमाने पर बिजली कटौती, रेडियो संचार, GPS में रुकावट आ गई है।
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NASA के वैज्ञानिकों ने बताया कि सूर्य की सतह पर पहला विस्फोट दो मई, जबकि दूसरा तीन मई को हुआ। यह एक्स-क्लास फ्लेयर था, जो सौर फ्लेयर्स (तूफान) की सबसे शक्तिशाली श्रेणी मानी जाती है। सौर भौतिक विज्ञानी कीथ स्ट्रॉन्ग का कहना है कि यह अब तक का 11वां सबसे शक्तिशाली सौर तूफान था, जो करीब 25 मिनट चला।

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