अमरीका को भारत का जवाब
बता दें कि बीते बुधवार को अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी (Arvind Kejriwal) के मामले को लेकर अमरीकी विदेश विभाग के अधिकारी ने टिप्पणी कर दी थी। इसमें उन्होंने कहा था कि भारत इस मामले में पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई करे। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी आपत्ति जताई थी। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि “भारत की कानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं जो समय पर परिणाम के लिए प्रतिबद्ध है। उस पर इस तरह का आरोप लगाना गलत है। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने मिशन के कार्यवाहक उप प्रमुख ग्लोरिया बर्बेना को तलब किया। मंत्रालय ने कहा था कि “कूटनीति में देशों से दूसरे देशों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है। लोकतांत्रिक देशों के मामले में ये जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
जर्मनी को भारत ने लताड़ा
अमेरिका से पहले जर्मनी ने भी केजरीवाल (Geremany on Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी पर बयान दिया था। तब भारत ने कह दिया था कि उसके आंतरिक मामले में दखल देने की जरूरत किसी देश को नहीं है। भारत ने जर्मनी के राजनयिक से जवाब भी मांगा था जिसके बाद जर्मनी ने बीते गुरुवार को एक बयान जारी कर कह दिया था कि उसे भारत के आंतरिक मामलों से कोई लेना-देना नहीं है।
शराब नीति घोटाले मामले में हुई है केजरीवाल की गिरफ्तारी
बता दें कि ये मामला 2021-22 में दिल्ली सरकार की शराब को लेकर उत्पाद शुल्क नीति (Delhi liquor Policy) को तैयार करने और उसे क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है, हालांकि उपराज्यपाल की नामंजूरी के बाद इसे रद्द कर दिया गया था। इसी केस में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई है और इससे पहले लगभग एक साल पहले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की भी गिरफ्तारी हुई थी।