मालदीव के बाद श्रीलंका के बिगड़े बोल, कहा- कच्चातिवु द्वीप पर भारत का दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे
कच्चातिवु द्वीप (Katchatheevu Island) मामले पर श्रीलंका के मंत्री ने कहा है कि इस केस में भारत की तरफ से जो भी बयान दिए जा रहे हैं उनका कोई मतलब नहीं है, वो निराधार हैँ और ये मामला इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि वहां पर चुनाव होने वाले हैं।
भारत और श्रीलंका के बीच इस समय सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। लगातार श्रीलंका भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हो रहा है। अब श्रीलंका ने कच्चातिवु द्वीप (Katchatheevu Island) मामले में बड़ा बयान दे दिया है। श्रीलंका के एक केंद्रीय मंत्री ने ये कह कर विवाद को हवा दे दी है कि ये केस अभी इसलिए उठाया गया है क्योंकि वहां लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) हैं। श्रीलंका के मत्स्य पालन मंत्री डगलस देवानंद ने कहा कि कच्चातिवू द्वीप पर भारत की टिप्पणियां असामान्य नहीं हैं, वहां चुनावी मौसम है इसलिए ये सब बातें उछाली जा रही हैं।
श्रीलंकाई मंत्री डगलस देवानंद ने कहा कि कच्चातिवु द्वीप (Katchatheevu Island) को भारत दोबारा पाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि उनके नेता ऐसे बयान दे रहे हैं। इन सबका कोई आधार नहीं है। देवानंद ने कहा कि भारत में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं इसलिए वहां पर ऐसा शोर मच रहा है। श्रीलंका से इस द्वीप को वापस लेने के बयान का कोई मतलब नहीं है। भारत इस जगह को इसलिए सुरक्षित करना चाहता है जिससे श्रीलंका (Shri Lanka) के मछुआरे यहां ना पहुंच सकें लेकिन ऐसा होगा नहीं क्योंकि कोलंबो इस संसाधन से भरे-पूरे क्षेत्र में किसी दूसरे अधिकार को कभी स्वीकार नहीं कर सकता।
कच्चातिवु के बीच ले आया वेस्ट बैंक
देवानंद ने कच्चातिवु (Katchatheevu Island) की बात में वेस्ट बैंक का भी जिक्र किया और कहा कि वेस्ट बैंक भारत के कन्याकुमारी से नीचे स्थित है। यहां भरपूर समुद्री संसाधन हैं जो कच्चातिवू से भी लगभग 80 गुना बड़ा है। भारत ने इसे 1976 के समीक्षा समझौते में हासिल किया था।
कच्चातिवु पर रिश्ते बिगाड़ने पर तुला श्रीलंका कच्चातिवु द्वीप मामले को लेकर श्रीलंका (Shri Lanka On Katchatheevu Island) लगातार इस तरह के बयान दे रहा है इससे पहले उसने इस द्वीप पर एक स्टेशन स्थापित करने की बात कही थी। द्वीप मामले में उसके इस बयान से साफ है कि भारत और श्रीलंका (India and Shri Lanka Relationship) के रिश्तों में खटास आ सकती है। क्योंकि चीन से गलबहियां कर रहे श्रीलंका का रुख भारत को लेकर दिन-ब-दिन नकारात्मक ही होता जा रहा है जाहिर है कि वो इस मुद्दे को ऐसे ही नहीं जाने देगा।
क्या है मामला ? दरअसल हाल ही में बीजेपी ने तमिलनाडु (Tamil Nadu)की सत्तासीन पार्टी द्रमुक पर कच्चातिवु को लेकर संवेदनहीन होने का आरोप लगाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी कच्चातिवु द्वीप पर कांग्रेस और DMK को घेरा था। इसके जवाब में कांग्रेस और द्रमुक ने केंद्र सरकार पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगा दिया था और कहा था कि 10 साल वो सत्ता में रहे तब इस मामले में क्यों कुछ नहीं कहा?
कब शुरू हुआ विवाद? 1974 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने श्रीलंका (India-Shri Lanka Agreement on Katchatheevu Island) के साथ एक समझौता किया था। जिसमें सरकार ने कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका का हिस्सा माना था। जिसमें भारतीय मछुआरों को यात्रा दस्तावेजों के बिना कच्चातिवु तक पहुंचने की अनुमति दी गई थी। इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उनकी सरकार ने उस समय ये द्वीप श्रीलंका को दे दिया था। जिस पर DMK और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां सरकार पर भड़क गईं थीं।
भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने बीते दिनों एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि 1974 के बाद 1976 में भारत और श्रीलंका के बीच एक और समझौता हुआ था जिसमें ये अधिकार भारत से छीन लिया गया था कि उसके मछुआरे बगैर किसी दस्तावेज के कच्चातिवु तक पहुंच सकते हैं।
आज़ादी से पहले भारत के पास था Katchatheevu Island बता दें कि भारत की आज़ादी से पहले कच्चातिवु द्वीप भारत के ही पास था। 1974 में ये श्रीलंका के पास चला गया। ये हिंद महासागर के छोर पर स्थित है। ये द्वीप 285 एकड़ में फैला हुआ है जो भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच स्थित है। इस द्वीप पर कोई नहीं रहता क्योंकि यहां पर कई ज्वालामुखी स्थित हैं और उनमें विस्फोट होते रहते हैं।
श्रीलंका के पास होने से क्या मुश्किल है? दरअसल कई बार भारतीय मछुआरे कच्चातिवु द्वीप तक पहुंच जाते हैं जिसे श्रीलंका अवैध मानता हैं और उन मछुआरों को पकड़ लेता है और इन पर जाससू के आरोप लगाकर श्रीलंका की जेल में डाल देता है।