जीपीआइ ने पिछले वर्ष शांति में गिरावट का असर क्रय शक्ति समता (पीपीपी) में गिरावट के रूप में देखा, जिससे 14.5 ट्रिलियन डॉलर के नुकसान का आकलन किया है। ये वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 10.6 फीसदी है। मसलन, सीरिया ने गृहयुद्ध के कारण हिंसा में पिछले वर्ष जीडीपी के 60 फीसदी के बराबर आर्थिक नुकसान उठाया। हालंाकि 2018-2019 के बीच इसमें सुधार हुआ है।
राहत की बात : आधे से अधिक देशों ने सैन्य बलों के आकार और परमाणु संपन्न राष्ट्रों ने परमाणु जखीरे को घटाया है।
मार्च और अप्रेल के दौरान लॉकडाउन ने नागरिक अशांति को रोके रखा। इस दौरान प्रदर्शनकों की संख्या 90 फीसदी तक गिर गई। लेकिन यह अस्थाई शांति थी। महामारी के चलते हेल्थकेयर सिस्टम, शिक्षा और रोजगार से जुड़ा असंतोष शांति के संकेतकों को हिला सकता है। वैश्विक मंदी नागरिक असंतोष को और हवा दे सकती है। कई अफ्रीकी देशों में अकाल के हालात हो सकते हैं तो अन्य कई देशों में नाजुक हालात हो सकते हैं।
-दुनिया के 20 सबसे शांतिपूर्ण देशों में 13 यूरोप के हैं। इसलिए यूरोप को दुनिया का सबसे शांतिपूर्ण महाद्वीप कहा जा सकता है।
-2019 में 96 देशों में हिंसक प्रदर्शन हुए।
-दंगों में 282 फीसदी और सामान्य हमलों में 821 फीसदी की वृद्धि हुई
-कुल 163 देशों की रैंकिंग में आइसलैंड 2008 से टॉप पर, अफगानिस्तान सबसे अशांत
-81 देशों में सुधार और 80 देशों में गिरावट आई है इंडेक्स में
-मध्यपूर्व और उत्तर अफ्रीकी देश सबसे कम शांतिप्रिय
-12 स्थानों की छलांग लगाई अजरबेजान ने
-139वीं रैंक के साथ भारत ने दो रैंक का सुधार किया
ये हैं टॉप पांच शांतिप्रिय देश
रैंक/देश स्कोर(वृद्धि/कमी)
1. आइसलैंड 1.078 (00)
2. न्यूजीलैंड 1.198 (00)
3. पुर्तगाल 1.247 (00)
4.ऑस्ट्रिया 1.275 (00)
5. डेनमार्क 1.283 (00)