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आपके कंप्यूटर में भी झांक रहा अमरीका!

अमूमन हम मानते रहे हैं कि कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़ा नहीं हो तो वह हैकिंग, वायरस या जासूसी जैसी गतिविधियों से सुरक्षित है।

Feb 18, 2015 / 03:59 am

santosh

अमूमन हम मानते रहे हैं कि कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़ा नहीं हो तो वह हैकिंग, वायरस या जासूसी जैसी गतिविधियों से सुरक्षित है।

पर रूसी इंटरनेट सुरक्षा कंपनी कैस्परस्काई लैब ने ऐसा खुलासा किया है जिससे न सिर्फ आम कंप्यूटर उपभोक्ताओं के होश उड़ गए हैं, बल्कि अमरीकी सुरक्षा एजेंसी एनएसए के कुख्यात मंसूबे फिर जगजाहिर हो गए।

कैस्परस्काई का कहना है, अमरीका गए 14 वर्षों से दुनियाभर के कंप्यूटरों की जासूसी कर रहा है। एनएसए के एक पूर्व कर्मचारी ने भी कैस्परस्काई के दावे को सही बताया है।

पहले से संक्रमित ड्राइव
हैरतअंगेज खुलासा यह है कि इसके लिए एनएसए ने इंटरनेट का सहारा नहीं लिया है, बल्कि वह हार्ड ड्राइव में ही जासूसी के इंतजाम छोड़ रहा है। मतलब यह कि जो हार्ड ड्राइव आपके नए कंप्यूटर में लगा हुआ है या जो नया हार्ड ड्राइव आप खरीदते हैं, वे एनएसए के जासूसी प्रोग्राम से संक्रमित हो सकते हैं। और तो और, ज्यादातर हार्ड ड्राइव निर्माताओं को भी नहीं पता है कि उनके हार्ड ड्राइव में जासूसी के प्रोग्राम पहले ही डाल दिए गए हैं।

सरकार की आफत
कैस्परस्काई का कहना है कि एनएसए की इस करतूत से कम से कम 30 देशों के कंप्यूटर प्रभावित हैं। इनमें सबसे ज्यादा निगरानी ईरान, रूस, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भारत, चीन, माली, सीरिया, यमन और अल्जीरिया के कंप्यूटरों की हो रही है। इन देशों में सरकार और सैन्य संस्थाएं, दूरसंचार सेवाएं देने वाली कंपनियां, बैंक, ऊर्जा कंपनियां, नाभिकीय अनुसंधान, मीडिया और इस्लामिक कार्यकर्ताओं के कंप्यूटर लगातार एनएसए की निगाहों में हैं। भारत में एजेंसी ने मुख्य रूप से अनुसंधान व सैन्य संस्थाएं, वैमानिकी व अन्य क्षेत्रों के कंप्यूटरों की जासूसी की है। कैस्परस्काई के मुताबिक यूं तो एनएसए द्वारा कंप्यूटरों की निगरानी दो दशकों से हो रही है। लेकिन यह वर्ष 2001 में ज्यादा सक्रिय हुआ और वर्ष 2008 में बराक ओबामा के राष्ट्रपति बनते ही चरम पर पहुंच गया।

स्टक्सनेट के जरिए
हालांकि रूसी सुरक्षा कंपनी कैस्परस्काई ने एनएसए के इस अभियान में शामिल देशों का नाम नहीं बताया है। लेकिन उसका कहना है कि यह स्टक्सनेट से काफी नजदीक से जुड़ा हुआ है। स्टक्सनेट वही साइबर-हथियार है, जिसका उपयोग एनएसए ने ईरान के परमाणु संवर्धन संयंत्र पर हमला करने के लिए किया था। इसके साथ ही पेन-ड्राइव, सीडी या कंप्यूटर के ऑन करने पर खुद-ब-खुद तैयार हो जाने वाले संक्रमणकारी प्रोग्राम के जरिए यह जासूसी जारी है। इस खुलासे से दुनिया में अमरीका विरोधी सुर तेज होने की संभावना है।

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