ऐसे करें सावन के सोमवार को पूजा, शिव देंगे मनचाहा वरदान
सावन सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही खत्म होने का संयोग 20 वर्ष बाद बन रहा है
how to worship shivlinga sawan ke somwar
भोले बाबा की आराधना का महीना सावन सोमवार से शुरू हो जाएगा। पूरे महीने भगवान शिव की आराधना की जाएगी। भक्त जलाभिषेक व रूद्राभिषेक कर शिवजी की मनुहार करेंगे। सावन के पहले ही दिन वन सोमवार होने से शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। शिवालय बोल बम-ताड़क बम के जयकारों से गूंज उठेंगे। भक्त जल, दूध, बिल्व पत्र, धतूरा, पुष्प आदि से भोले बाबा की विशेष आराधना करेंगे।
20 साल बाद बना शुभ संयोग
सावन सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही खत्म होने का संयोग 20 वर्ष बाद बन रहा है। माह में पांच सोमवार होंगे। पहले यह संयोग वर्ष 1997 में बना था। फिर 2020 में बनेगा। इस बार पहला सोमवार सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू होगा और आखिरी सोमवार के सर्वार्थ सिद्धि योग में खत्म भी होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग का समय़ बहुत ही शुभ माना जाता है। सर्वार्थ सिद्धि योग मतलब होता है अपने आप में सिद्ध। अगर आप इस दिन कोई पूजा या हवन-यज्ञ करेंगे तो आपको काफी फायदा मिलेगा।
सावन के सोमवार व्रत की विधि
सावन मास में भगवान शिव की पूजा तथा सोमवार के व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव तथा माता पार्वती की पुष्प, धूप, दीप और जल से पूजा करनी चाहिए। उन्हें दूध मिश्रित अथवा सादा जल चढ़ाएं। नैवेद्य में दूध, जल, कंद, फल, मूल आदि अर्पित करें। इस तरह सावन के प्रथम सोमवार से शुरु करके कुल नौ या सोलह सोमवार इस व्रत का पालन करना चाहिए। नौवें या सोलहवें सोमवार को व्रत का उद्यापन करना चाहिए। अगर नौ या सोलह सोमवार व्रत करना संभव ना हो तो केवल सावन के चार सोमवार भी व्रत किए जा सकते हैं।
सावन के महीने में कांवड यात्रा का महत्व
सावन के पवित्र मास में कावड़ यात्रा को भी विशेष महत्व दिया गया है। कावड़ यात्रा का अर्थ है शिव के साथ रमन अर्थात जो स्वयं को शिव तत्व में ही रमा दें, उसे ही कावड़िया कहते हैं। वर्तमान में यह लौकिक यात्रा हो गई है। शास्त्रों के अनुसार जो भी इस यात्रा को कर लेता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती है।
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