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आज दोपहर 2.18 से शुरु हो जाएगा पंचक, अगले पांच दिन भूल से भी किया ये काम, हो जाएंगे बर्बाद

आज शुक्रवार दोपहर 2.18 बजे से पंचक शुरु हो रहा है जो बुधवार (24 जनवरी) को सुबह 08.35 तक रहेगा

Jan 19, 2018 / 09:48 am

सुनील शर्मा

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panchak how to worship

आज शुक्रवार दोपहर 2.18 बजे से पंचक शुरु हो रहा है जो बुधवार (24 जनवरी) को सुबह 08.35 तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्राकाल, राहूकाल तथा पंचक को टाला जाता है, अतः इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही की गई है। शुक्रवार से आरंभ होने के कारण इस पंचक को चोर पंचक कहा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार इस समय लेन-देन, व्यापार, किसी भी तरह के सौदे या नई यात्रा शुरू नहीं करनी चाहिए अन्यथा धन और समय की हानि होती है।
जानिए क्या होता है पंचक
ज्योतिष शास्त्र में पांच नक्षत्रों के समूह को पंचक कहते हैं। ये नक्षत्र हैं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार चंद्रमा अपनी माध्यम गति से 27 दिनों में सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है। इसलिए प्रत्येक माह में लगभग 27 दिनों के अंतराल पर पंचक नक्षत्र आते रहते हैं।
पंचक में करने योग्य शुभ-अशुभ कार्य
पंचक नक्षत्रों के समूह में धनिष्ठा तथा सदभिषा नक्षत्र चर संज्ञक कहलाते हैं। इसी प्रकार पूर्व भाद्रपद को उग्र संज्ञक, उत्तरा भाद्रपद को ध्रुव संज्ञक और रेवती नक्षत्र को मृदु संज्ञक माना जाता है। ज्योतिषविदों के अनुसार चर नक्षत्र में घूमना-फिरना, मनोरंजन, वस्त्र और आभूषणों की खरीद-फरोक्त करना अशुभ नहीं माना गया है। इसी तरह ध्रुव संज्ञक नक्षत्र में मकान का शिलान्यास, योगाभ्यास और लम्बी अवधि की योजनाओं का क्रियान्वन भी किया जा सकता है।
मृदु संज्ञक नक्षत्र में भी गीत, संगीत, फिल्म निर्माण, फैशन शो, अभिनय करने जैसे कार्य किए जा सकते हैं। पंचक काल में विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश, व्यावसायिक कार्य किए जा सकते हैं। पंचक में यदि कोई कार्य किया जाना जरूरी हो तो, पंचक दोष की शांति का निवारण अवश्य कर लेना चाहिए।
पंचकों में भी आते हैं शुभ मुहूर्त , कर सकते हैं शुभ कार्य
ज्योतिषियों के अनुसार पंचकों में भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इस दौरान सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त पंचक में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद व रेवती रविवार को होने से आनंद आदि 28 योगों में से 3 शुभ योग बनाते हैं, ये शुभ योग इस प्रकार हैं- चर, स्थिर व प्रवर्ध। इस समय उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वार के साथ मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है, जबकि धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों में ज्योतिष की दृष्टि से अतिउत्तम माने गए हैं।
ऐसा होता है पंचक के नक्षत्रों का अशुभ प्रभाव
(1) धनिष्ठा नक्षत्र में आग लगने का भय रहता है।
(2) शतभिषा नक्षत्र में वाद-विवाद होने के योग बनते हैं।
(3) पूर्वाभाद्रपद रोग कारक नक्षत्र है यानी इस नक्षत्र में बीमारी होने की संभावना सबसे अधिक होती है।
(4) उत्तरा भाद्रपद में धन हानि के योग बनते हैं।
(5) रेवती नक्षत्र में नुकसान व मानसिक तनाव होने की संभावना होती है।

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