भोपाल। संत…नाम सुनते ही भगवा सूती कपड़े को तन पर लपेटे, चंदन का तिलक किए, गले में रूद्राक्ष डाले कोई बेहद सरल-स्वाभाविक स्वभाव वाले किसी व्यक्ति की छवि सामने आ जाती है। पर कई बार जो दिखता है वह होता नहीं हैं। मप्र में भी कई ऐसे संत हुए हैं जिन्हें आध्यात्म से अपराध तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं हुआ। हालांकि इनमें से कई अब तक आरोपी ही हैं, लेकिन अपराध के क्षेत्र से नाम जुड़ जाने के कारण इनकी छवि लोगों की नजरों में कुछ अलग ही है.. जानिए मप्र के ऐसे ही संतों की कहानियां जो आध्यात्म से शुरू हुए और अपराध के ग्रास में समा रहे हैं।
अपनी शिष्या से किया दुराचार
भोपाल के उपनगर बैरागढ़ में विशाल आश्रम में रहने वाले संत लाल सांई अपनी शिष्या से दुराचार के मामले में आरोपी हैं। संत की एक शिष्या ने 17 सितंबर 2008 को भोपाल के महिला पुलिस थाने में बलात्कार एवं छेड़छाड़ की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। घटना के लगभग आठ माह बाद पुलिस के भारी दबाव के चलते लाल सांई ने 22 नवंबर 2008 को महिला थाने में आत्मसमपज़्ण कर दिया था।
दुराचार का लगा था आरोप
महर्षि योगी संस्थान के संचालक और संरक्षक गिरीश वर्मा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उन पर उन्ही की एक महिला अनुयायी ने 15 साल तक दैहिक शोषण करने का आरोप लगाया था। साल 2012 में इस मामले में भोपाल महिला थाना में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इसके बाद गिरीश वर्मा पर राज्य महिला आयोग और पुलिस का इतना दबाव बना कि उन्हें आत्मसमपर्ण करना पड़ा था।
इंदौर में धरे गए आसाराम
आसाराम बापू को कौन नहीं जानता। एक नाबालिक के साथ दुराचार करने के आरोप में वे पिछले लगभग दो सालों से जेल में हैं। उनके ऊपर हत्या, अपहरण, दुराचार जैसे कई संगीन आरोप लगे हैं। आसाराम को अब तक जमानत तक नसीब नहीं हुई है। उन्हें दो साल पहले इंदौर से गिरफ्तार किया गया था। मप्र में आसाराम की सबसे ज्यादा संपत्ति और आश्रम बने हैं।
बम ब्लास्ट के आरोपों में घिरीं
साध्वी प्रज्ञा प्रदेश के भिंड जिले के कछवाहा गांव से ताल्लुक रखतीं हैं। प्रज्ञा को 2006 में मालेगांव में हुए बम ब्लास्ट के आरोप में 23 अक्टूबर 2008 में गिरफ्तार किया गया है। वे जब से गिरफ्तार हुईं हैं तब से अब तक एक बार भी जमानत नहीं पा सकीं। गौरतलब है कि ब्लास्ट की प्लानिंग साध्वी ने भोपाल में ही की थी। संघ प्रचारक सुनील जोशी की 27 दिसम्बर, 2007 को देवास में हत्या कर दी गई थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी की जांच में सामने आया है कि सुनील का प्रज्ञा के प्रति आकर्षण ही उनकी हत्या का कारण बना। प्रज्ञा को डर था कि कहीं सुनील मालेगांव ब्लास्ट का राज न खोल दें।