कोहरे से विजिबिलिटी में आयी कमी 100 मीटर तक देखना भी हुआ मुश्किल
सुबह से ही पूरा शहर की चादर में लिपटा हुआ था, ऐसे में यहाँ चलने वाले वाहनों के चालकों को अपने वाहनों की हेडलाइट के अलावा इंडिकेटर जलाकर चलना पड़ा था, ताकि किसी तरह की कोई अनहोनी ना हो।
ग्वालियर।जिले में गुरुवार को शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र कोहरे की चादर से लिपटा रहा। बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात से ही कोहरे का असर दिखाई देने लगा था। शहर के सांथ ही गांवों में भी कोहरे का ज्यादा असर दिखाई दिया। कई लोगों ने सर्द मौसम से बचाव को एहतियात बरती। सुबह कोहरे के बीच बच्चों ने स्कूल की ओर प्रस्थान किया।
दोपहर करीब 11 बजे धरती पर सूर्य की किरणें आने से लोगों ने राहत महसूस की,लेकिन फिर भी हल्की हल्की ढूंढ दोपहर 1 बजे तक बनी ही रही। इसके बाद सरकारी व निजी संस्थानों में कर्मचारी ने खिली-खिली धूप का मजा लेते हुए देखे गए । कोहरे के कारण प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ी। सुबह कोहरे के दौरान धीमी गति से वाहन चले। कोहरे से रेल परिचालन प्रभावित रहा। कई ट्रेनें देरी से आईं।
सुबह से ही पूरा शहर की चादर में लिपटा हुआ था, वही इस कारण कोहरे की वजह से सुबह के समय शहर में दृश्यता कम रही सुबह सडको पर दृश्यता करीब 50 मीटर ही रही । ऐसे में यहाँ चलने वाले वाहनों के चालकों को धीमी रफ़्तार में अपने वाहनों की हेडलाइट के अलावा इंडिकेटर जलाकर चलना पड़ा था, ताकि किसी तरह की कोई अनहोनी ना हो।
सेहत पर भी पड़ा असर स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कोहरे के प्रभाव के चलते बुखार, गला संक्रमण, सांस के रोगियों की संख्या बढ़ सकती है। ऐसे ही पुराने हृदय रोगियों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। सरकारी अस्पताल सूत्रों के मुताबिक आजकल प्रतिदिन ओपीडी में ढाई सौ मरीज रक्तचाप, बुखार तथा गला संक्रमण के मामले आ रहे हैं। आठ, दस दिन पहले ओपीडी में प्रतिदिन ऐसी बीमारियों से पीड़ित करीब 80 मरीज ही आ रहे थे।
कोहरे के चलते बढ़ा प्रदूषण कोहरे ने शहर में प्रदूषण को बढ़ा दिया है। जानकारों के अनुसार कोहरे से प्रदूषण भी बढ़ता है, दरअसल हवा में पानी की मात्रा बढ़ जाने से कई पदार्थ जो हवा के संत ऊपर उठ जाते हैं वे कोहरे में हवा के भरी हो जाने से ऊपर नहीं जा पते और प्रदूषण में वृद्धि करते हैं।
बच्चों तथा बुजुर्गों का रखें ख्याल विशेषज्ञों के मुताबिक सर्द मौसम में हृदय रोगियों को सूर्य निकलने से पहले सुबह सैर नहीं करनी चाहिए। इस दौरान सांस की नली सिकुड़ जाती है तो रक्त संचरण भी प्रभावित होता है। बच्चों तथा बुजुर्गों का खास ख्याल रखा जाना चाहिए।