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नोएडा

…तो इसलिए केशव मौर्य पर जताया भाजपा ने भरोसा

केशव प्रसाद मौर्य की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति भाजपा का बहुत सोचा समझा दांव

नोएडाApr 08, 2016 / 07:25 pm

Lokesh Kumar

PM Modi and keshav prasad morya

PM Modi and keshav prasad morya

नोएडा। चाय बेचने से शुरुआत कर प्रधानमंत्री पद तक का सफर तय करने वाले मोदी ने यूपी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भी एक चायवाला ही चुना। पार्टी ने यूपी के मिशन 2017 के लिए केशव प्रसाद मौर्य पर अपना भरोसा जताया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार उनका युवा, कर्मठ और पिछड़ा होना उनके पक्ष में गया, जिसकी वजह से पार्टी ने उन्हें प्रदेश का नेतृत्व सौंपा।

यहां बता दें कि मौर्य पहली बार फूलपुर से भाजपा के सांसद हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा वोट पाने वाले सांसद के रूप में रिकॉर्ड भी दर्ज कराया था। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए जो नाम चर्चा में थे, केशव का उनमें कहीं नाम ही नहीं था। इनकी जगह केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा, योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा, मनोज सिन्हा और धर्मपाल जैसे बड़े नाम चर्चा में थे। अंतिम दौर में दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य का ही नाम सामने आया, जिसमें केशव मौर्य दिनेश शर्मा पर भारी पड़े।

मौर्य के साथ पिछड़े वोट बैंक पर निशाना

केशव प्रसाद मौर्य की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति भाजपा का बहुत सोचा समझा दांव है। पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पिछड़े और दलित वोट बैंक को साथ लाने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रही है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी ब्राह्मण, दलित और पिछड़े वोट बैंक को एक साथ साधना चाहती है। इसके लिए तीन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पदों प्रदेश अध्यक्ष, चुनाव समिति का प्रमुख और सदन में नेता विपक्ष को इस तरह से बांटना चाहती है, जिससे समाज के सभी तबकों को पार्टी के साथ जोड़ा जा सके। इसी बात को ध्यान में रखकर पार्टी ने अध्यक्ष पद के लिए केशव प्रसाद मौर्य को चुना है। ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में लगभग 45 फीसदी ओबीसी आबादी है, जिसमें सिर्फ कुर्मी 3.4 फीसदी और कोइरी 1.1 फीसदी हैं, जिससे स्वयं केशव प्रसाद मौर्य आते हैं।

केशव प्रसाद मौर्य की पृष्ठभूमि

केशव प्रसाद मौर्य की कहानी भी मोदी की तरह ज़मीन से जुड़ी हुई है। वे कौशाम्बी के सिराथू के कसया गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता श्याम लाल गांव में ही चाय की दुकान चलाते थे। केशव भी बचपन से ही पिता का हाथ बंटाने के लिए चाय बेचने लगे। इसके साथ ही अतिरिक्त आय के लिए वे अखबार भी बेचा करते थे। गांव के ही स्कूल में उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सम्पन्न हुई। हालांकि आज केशव प्रसाद मौर्य के नाम नौ करोड़ से अधिक की सम्पत्ति है। लोकसभा में उन्होंने जो ब्यौरा दिया है उसके अनुसार आज केशव और उनकी पत्नी के नाम पेट्रोल पम्प, एग्रो ट्रेडिंग कंपनी, कामधेनु लॉजिस्टिक कम्पनी है। सामाजिक कार्यों के लिए कामधेनु चैरीटेबल संस्था चलाते हैं और जीवन ज्योति हॉस्पिटल में भी उनकी हिस्सेदारी है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

केशव प्रसाद बचपन से ही हिन्दू विचारधारा से प्रभावित रहे। वे प्रारम्भिक शिक्षा के बाद ही विहिप से जुड़ गए। उन्होंने लगभग चौदह साल तक फुल टाइम कार्यकर्ता के रूप में जीवन बिताया। उन्होंने गंगापार और यमुनापार क्षेत्र में प्रचारक की भूमिका निभाई। उन्होंने 2002 में शहर पश्चिमी सीट से अपना भाग्य आजमाया, लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। यहां उन्हें कुख्यात अपराधी राजूपाल ने शिकस्त दी थी। 2007 में भी उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सिराथू से अपनी किस्मत आजमाई और उन्हें सफलता मिली। इसके तुरंत बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपना भाग्य आजमाया और रिकॉर्ड कायम कर दिया। इस चुनाव में उन्हें पांच लाख से भी ज्यादा वोट मिले थे, जो कि अब तक किसी प्रतिनिधि को सबसे ज्यादा मिले वोट हैं।

अपराधिक मामले भी हैं दर्ज

केशव प्रसाद के लोकसभा चुनाव के समय दिए गए हलफनामे के अनुसार उनपर ग्यारह मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन उनके प्रशंसकों के अनुसार ये मुकदमे उनकी हिन्दूवादी छवि के कारण रंजिशन लगाए गए हैं। इस बात को इस आधार पर भी बल मिलता ही कि उन पर तीन मामले शांति भंग के कारण लगाया गया है। दो मामले धमकी देने के हैं। एक मामला चोरी और और एक मामला किसी को बिना उसकी इच्छा के बंधक बनाकर रखने का है।

चार अन्य प्रदेश अध्यक्षों के नाम की भी हुई घोषणा

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने एक प्रेसवार्ता के जरिए पांच प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा एक साथ कर दी।
यूपी से केशव प्रसाद मौर्य के आलावा पंजाब के लिए केंद्रीय राजयमंत्री विजय सांपला के नाम की भी घोषणा उन्होंने की। इसके आलावा कर्नाटक के लिए बीएस येदुरप्पा के नाम की घोषणा हुई। येदुरप्पा को भ्रष्टाचार के आरोप में नाम आने के बाद सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में उन्हें पार्टी से भी निकाल दिया गया था। उन्होंने अपनी अलग पार्टी कर्नाटक जनता पक्ष बनाकर चुनाव लड़ा और बीजेपी को कर्नाटक चुनाव में भारी नुक्सान पहुंचाया। फिलहाल वे पार्टी में वापस आए और इस समय शिमोगा से पार्टी के सांसद हैं। इसके आलावा तेलंगाना के लिए डॉ. के लक्ष्मण और अरुणाचल प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष के लिए तापिर गांव के नाम की घोषणा हुई।
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