scriptMP: काला बाज़ार में बढ़ रही अफीम की कीमत, 109 अफीम तस्कर फरार | 109 opium smugglers absconding from state | Patrika News
भोपाल

MP: काला बाज़ार में बढ़ रही अफीम की कीमत, 109 अफीम तस्कर फरार

प्रदेश की अफीम बेल्ट- नीमच और मंदसौर में 109 फरार आरोपी ड्रग तस्कर प्रदेश में ड्रग की बिक्री को रोकने को लेकर सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं।

भोपालJul 02, 2016 / 12:36 pm

Alka Jaiswal

opium

opium


भोपाल। प्रदेश की अफीम बेल्ट- नीमच और मंदसौर में 109 फरार आरोपी ड्रग तस्कर प्रदेश में ड्रग की बिक्री को रोकने को लेकर सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं। एजेंसियों के लिए चिंता की बात यह है कि फरार आरोपी ड्रग की तस्करी में गुप्त रूप से सक्रिय हो सकते हैं और देश में एक अज्ञात व्यापक नेटवर्क के माध्यम से ड्रग के अवैध व्यापार की चेन बना सकते हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि इनमें से कुछ तस्कर पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में फर्जी पहचान के साथ रहने वाले हो सकते हैं।

साल 2003 से ही ये सभी तस्कर और ड्रग बेचने वालों को ‘फरार’ घोषित कर दिया गया है। अनुमान है कि इन तस्करों में से कम से कम 79 तस्कर नीमच जिले से हैं और 30 मंदसौर जिले से हैं। रिकॉर्ड के अनुसार, साल 2003 और मई 2016 के बीच नीमच कैंट पुलिस स्टेशन के क्षेत्र से लापता होने वाले 19 तस्करों की सबसे बड़ी संख्या घोषित की गई थी। इसके बाद जवाद पुलिस स्टेशन से 18, जीरन से 7, नीमच शहर से 8, रतनगढ़ से 6, सिंगोली से 3, मनासा से 8 और कुकदेश्वर पुलिस स्टेशन से 3 आरोपी फरार है।


करीबन 30000 किसान करते हैं अफीम की खेती
आपको बता दें कि मालवा-मेवाड़ बेल्ट पश्चिमी मध्य प्रदेश और दक्षिणी राजस्थान भर में फैली है। नीमच इस बेल्ट के अंतर्गत आता है जिसमें करीबन 38,000 हेक्टेयर क्षेत्र देश के लाइसेंस अफीम की खेती वाले क्षेत्रों में आता है। यह क्षेत्र दुनिया के कुछ स्थानों में से एक है जहां अफीम की खेती की जाती है। रिकॉर्ड के अनुसार, राज्य के मंदसौर, नीमच और रतलाम जिलों में करीबन 30000 किसान अफीम की खेती करते हैं। इसके साथ ही 2003 से फरार हुए 109 अफीम तस्कर पुलिस और सुरक्षा बलों की समस्या कई गुना बढ़ सकते हैं।


काला बाजार में बढ़ रही अफीम की कीमत
नीमच पुलिस अधीक्षक, मनोज सिंह का कहना है कि पुलिस ने इन तस्करों को पकड़ने के लिए एक अभियान शुरू किया था। हाल ही में कुछ तस्करों को गिरफ्तार किया गया था। इसके साथ ही और भी तस्करों को पड़कने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही हमने उनकी संपत्ति की पहचान करना भी शुरू कर दिया है जो उनसे जुड़ी हो।

अफीम की कानूनी कीमत स्थिर बनी हुई है, जबकि काले बाजार में इसकी कीमत काफी बढ़ी हुई है। अफीम की वैध कीमत एक लंबे समय से स्थिर बनी हुई है, जबकि काले बाजार में हाल ही में इसकी कीमती में उछाल देखा गया है। यही वजह है जिसके कारण यह क्षेत्र अफीम की तस्करी का एक बड़ा केंद्र बना हुआ है।


किसान ज्यादा कीमत मिलने पर तस्करों को बेच देते हैं अफीम
सूत्रों ने बताया कि सरकारी खरीद की कीमतों और खेती और श्रम की बढ़ती लागत के कारण अक्सर किसानों के पास अपनी फसल तस्करों को बेचने के अलावा कोई और विकल्प नहीं रह जाता जो कि उन्हें फसल की गुणवत्ता के अनुसार 8,000 से 1,00,000 प्रति किलो तक की कीमत तो तैयार रहते हैं। सूत्रों ने बताया कि यह एक प्रोत्साहन किसानों को ज्यादा अफीम पैदा करने के लिए प्रेरित करेगा और इससे अफीम का अवैध व्यापार बढ़ेगा।

उड़ता पंजाब में भी है अफीम की तस्करी का जिक्र
हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में भी अफीम की तस्करी को दिखाया गया है। किस तरह से अफीम फैक्ट्री से निकलकर दूसरे राज्यों तक पहुंचाई जाती है और कैसे फिर उसकी फुटकर बिक्री की जाती है इसे बखूबी इस फिल्म में दर्शाया गया है। यह पूरी फिल्म ही अफीम के अवैध कारोबार पर आधारित है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो