कांग्रेस, सपा, बसपा और आरएलडी समेत तमाम विपक्षी दलों की मांग पर चुनाव आयोग ने कैबिनेट सेक्रेटरी को खत लिखा है। आयोग ने 10 जनवरी तक पूरे मामले पर सरकार से रुख साफ करने को कहा है। हालांकि सरकार की तरफ से बजट को टालने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं।
विपक्ष का आरोप है कि बजट की लोक-लुभावन घोषणाओं से मतदाता प्रभावित हो सकता है, लिहाजा सरकार को मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही संसद में बजट पेश करना चाहिए। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मांग की थी कि निष्पक्ष चुनाव के लिए बजट को 8 मार्च के बाद पेश किया जाना चाहिए। विपक्ष की दलील है कि 31 मार्च को वित्तीय वर्ष खत्म होता है, लिहाजा उसके पहले कभी भी आम बजट पेश किया जा सकता है।
बीजेपी ने 2012 में यह मुद्दा उठाया था कि चुनावों के दौरान आम बजट पेश नहीं किया जाना चाहिए। विपक्ष की 11 पार्टियों की शिकायत पर वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि बजट 1 फरवरी को ही पेश होगा।
हालांकि सरकार का कहना है कि चुनाव आयोग जो भी निर्देश देगा, उसका पालन किया जाएगा। सरकार की दलील है कि आयोग को पता था कि बजट चुनाव से पहले प्रस्तुत होगा। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चार फरवरी से 8 मार्च के बीच विधानसभा चुनाव की वोटिंग होनी है।