हाईकोर्ट में जस्टिस एसपी गर्ग ने इसे अहम मानते हुए यौन शोषण के दोषी की याचिका खारिज करते हुए उसकी सजा को कायम रखा है। ट्रायल कोर्ट में बच्ची के बयान दर्ज कराते समय जज ने बच्ची को सहज करने के लिए एक डॉल दी थी। जब बच्ची को डॉल दी गई तो बातचीत के दौरान उसने डॉल के कपड़ों में हाथ डालना शुरू कर दिया। जज ने बच्ची की इस बात को समझा और बच्ची को घटना का विवरण बताने के लिए प्रेरित किया। बच्ची ने बताया कि किस तरह उससे वहशी हरकत की गई।
कोर्ट ने क्या कहा? कोर्ट ने कहा कि फाइल से पता चलता है कि बचाव पक्ष के वकील ने बच्ची से किस तरह के शर्मनाक सवाल पूछे थे। बच्ची ने डॉल से घटना का उल्लेख कर दिया है। दोषी किसी सहानुभूति का हकदार नहीं है।
सजा रखी बरकरार कोर्ट ने दोषी के तर्क को खारिज कर दिया कि बच्ची के प्राइवेट पाट्र्स पर नाखून के निशान नहीं हैं। कोर्ट ने कहा नाखून के निशान न मिलने से यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं।
2014 की घटना यह घटना जुलाई 2014 की तारीख है जब लड़की अपने 10 वर्षीय भाई के साथ स्कूल जा रही थी। आरोपी हूनी ने बच्ची के भाई को दस रुपए दिए और दुकान से कुछ लाने को कहा। जब वह दुकान गया तो बच्ची का अपहरण कर उसे दिल्ली में नरेला ले गया और उसका यौन उत्पीडऩ किया। इसके बाद बच्ची को उसके घर के पास छोड़ दिया। जब बच्ची बिना स्कर्ट के घूम रही थी तो एक पड़ोसी ने उसे देखा और मां के सुपुर्द किया।
रिकॉल दो दिन पहले ही दिल्ली की एक अदालत में एकं बच्ची ने स्कैच बनाकर बताया था कि कैसे उसका यौन उत्पीड़न हुआ। फुटेज देखकर पकड़ा बच्ची सदमे में थी। इसके बाद मां ने पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराई। आरोपी को सीसीटीवी फुटेज की मदद से गिरफ्तार किया गया।